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कांग्रेस-एनसीपी सरकार के फैसले पर हाइकोर्ट की रोक

मराठा, मुसलिमों को नहीं मिलेगा आरक्षणएजेंसियां, मुंबईबंबई हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी सरकार के उस विवादास्पद निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठों के लिए 16 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी. कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में मुसलिमों को पांच फीसदी […]

मराठा, मुसलिमों को नहीं मिलेगा आरक्षणएजेंसियां, मुंबईबंबई हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी सरकार के उस विवादास्पद निर्णय पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मराठों के लिए 16 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी. कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में मुसलिमों को पांच फीसदी आरक्षण देने के निर्णय पर भी रोक लगा दी. लेकिन, इस वर्ग के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति दे दी. महाराष्ट्र सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया है.चीफ जस्टिस मोहित शाह की अध्यक्षतावाली पीठ ने कहा कि आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कानून बना रखा है, जिसमें कुल सीटों के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता. सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पहले से ही 52 फीसदी सीटें आरक्षित हैं. कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने विधानसभा चुनावों के दौरान मराठों के लिए 16 फीसदी और मुसलिमों के लिए पांच फीसदी बढ़ा कर इसे 73 फीसदी कर दिया. सरकार ने जो तुलनात्मक आंकड़े दिये, उसके कारण सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में मुसलिमों के लिए आरक्षण शुरू किया गया. इसने निजी शैक्षणिक संस्थानों को अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के दायरे से अलग रखा.एनसीपी, शिव सेना ने की सरकार की आलोचनामराठा आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा की ओर से कोर्ट में पेश रुख की एनसीपी और शिव सेना ने आलोचना की. एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ‘कांग्रेस-एनसीपी सरकार के आरक्षण के संबंध में लिये गये निर्णय की रक्षा नहीं कर पाना नयी सरकार की असफलता को दर्शाती है.’ शिव सेना ने भी मराठा आरक्षण को बचाये रखने में ‘असफल’ रहने के लिए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.क्या है मामलामहाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मराठों के लिए 16 फीसदी और मुसलिमों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की. इसके खिलाफ कई संगठनों ने कोर्ट में अपील दायर कर दी.हाइकोर्ट ने कहासुप्रीम कोर्ट ने तय कर रखा है कि कुल सीटों के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता. सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पहले से 52 फीसदी सीटें आरक्षित हैं. और आरक्षण गैरकानूनी होगा.

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