रांची: राज्य के पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में पढ़नेवाले छात्र आसान तकनीक से उपकरण या उत्पाद बनायें. जनजातीय आबादी के विकास के लिए आसान तकनीक से बने उत्पादों का उपयोग जरूरी है.
उक्त बातें एटीआइ के महानिदेशक सुधीर प्रसाद ने कही. वह गुरुवार को सेंटर फार बायोइंफॉरमेटिक्स (पॉलिटेक्निक कालेज) की ओर से आदिवासी ग्रामीण भारत एवं भूमंडलीकरण में अभियांत्रिकी का महत्व विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि तकनीकी संस्थानों को चाहिए कि वे कुल वार्षिक बजट का दो प्रतिशत नये और सृजनात्मक विकास के लिए आवंटित करें.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विज्ञान व प्रावैधिकी सचिव एल ख्यांग्ते ने कहा कि पॉलिटेक्निक संस्थानों को इंजीनियरिंग कॉलेज के समतुल्य बनाने की आवश्यकता है. कार्यक्रम के उद्देश्यों पर संस्थान की निदेशक डॉ रश्मि ने प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि गोष्ठी का उद्देश्य अभियंत्रण, शिक्षाविद, सामाजिक और भौतिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति निर्माताओं के बीच विकास का खाका तैयार करना है. दो दिवसीय गोष्ठी में बीआइटी मेसरा, राजकीय पॉलिटेक्निक कोडरमा, अलबर्ट आइंसटाइन साइंस इंस्टीटय़ूट के विशेषज्ञों ने भी प्रकाश डाला.