विश्व निमोनिया दिवस पर पत्रकार वार्ताफोटो—सुनीलसंवाददाता, रांचीनिमोनिया जानलेवा है. बच्चों में जितनी मौत होती है, उसमें निमोनिया मुख्य कारण है. अगर समय पर निमोनिया की पहचान कर इलाज शुरू हो जाये, तो बच्चे की जान आसानी से बचायी जा सकती है. इस बीमारी को आसानी से अभिभावक भी पहचान सकते हैं. सबसे ज्यादा जागरूक ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को करना होगा, क्योंकि वह समय पर इलाज कराने के बजाय झाड़-फूं क में विश्वास करते हैं. उक्त बातें बुधवार को विश्व निमोनिया दिवस पर पत्रकार वार्ता में इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियेट्रिक्स (आइपीए) के सचिव डॉ राजेश कुमार ने कही. उन्होंने बताया कि पांच साल से कम आयु के बच्चों में यह बीमारी तेजी से होती है. डॉ अजय घोष ने बताया कि जो बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं, उन्हें निमोनिया होने की संभावना ज्यादा रहती है. टीका लेने से निमोनिया होने की संभावना कम रहती है. डॉ शैलेश चंद्रा ने कहा कि बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से भी संक्रमण होने की संभावना रहती है. ऐसे में सफाई का ख्याल भी रखना चाहिए. डॉ पी चौधरी ने बताया कि निमोनिया की रोकथाम में मिजिल्स का टीका भी कारगर होता है.
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निमोनिया का समय पर इलाज जरूरी
विश्व निमोनिया दिवस पर पत्रकार वार्ताफोटो—सुनीलसंवाददाता, रांचीनिमोनिया जानलेवा है. बच्चों में जितनी मौत होती है, उसमें निमोनिया मुख्य कारण है. अगर समय पर निमोनिया की पहचान कर इलाज शुरू हो जाये, तो बच्चे की जान आसानी से बचायी जा सकती है. इस बीमारी को आसानी से अभिभावक भी पहचान सकते हैं. सबसे ज्यादा जागरूक ग्रामीण […]
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