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कोर्ट ने सरकार से पूछा, एक सदस्यीय आयोग बनायेंगे या नहीं

छह सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देशमामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगीमामला 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के पीडि़तों के पुनर्वास व दोषियों को सजा दिलाने कारांची. झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के पीडि़तों के पुनर्वास व दोषियों को सजा दिलाने को लेकर […]

छह सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देशमामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगीमामला 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के पीडि़तों के पुनर्वास व दोषियों को सजा दिलाने कारांची. झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के पीडि़तों के पुनर्वास व दोषियों को सजा दिलाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस डीएन पटेल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने पूछा कि कितने दंगा पीडि़तों का पुनर्वास किया गया है. क्या पुनर्वास पैकेज के तहत सभी पीडि़तों का पुनर्वास हो गया है. दंगा के दोषियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गयी है. कितनी प्राथमिकी दर्ज की गयी है. उसका क्या हुआ. केंद्र सरकार के वर्ष 2006 के पुनर्वास पैकेज की क्या स्थिति है. खंडपीठ ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि जिस प्रकार पंजाब व हरियाणा में दंगों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग बनाया गया था, क्या झारखंड में भी एक सदस्यीय आयोग बनाया जायेगा या नहीं. इस बाबत सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया. सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए खंडपीठ ने छह सप्ताह का समय दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 19 जनवरी 2015 की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि दंगा पीडि़तों का पुनर्वास अधूरा है. सभी का पुनर्वास नहीं किया गया है. वर्ष 2006 के केंद्र के पुनर्वास पैकेज का भी सही लाभ पीडि़तों को नहीं पहुंचाया गया है. दंगा के दोषियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. पंजाब व हरियाणा में दंगों की जांच के लिए इलाहाबाद हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पीपी गर्ग की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग बनाया गया था, उसी तरह झारखंड में भी हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग बना कर मामले की जांच कराने का आग्रह किया. राज्य सरकार की ओर से एएजी अजीत कुमार ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सतनाम सिंह गंभीर, बलविंदर कौर व अन्य की ओर से जनहित याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगायी गयी है.

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