रांची: निगरानी ब्यूरो 16 करोड़ की दवा खरीद में हुई गड़बड़ी के संबंध में सात सिविल सजर्न सहित पीएमसीएच और एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक से पूछताछ करेगी. इसके लिए जांचकर्ता और निगरानी एएसपी आनंद जोसेफ तिग्गा ने नोटिस जारी किया है. सभी को पूछताछ के लिए 10 अक्तूबर को निगरानी ब्यूरो बुलाया गया है.
जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनमें डॉ विजय सिंह ( सिविल सजर्न, पलामू), डॉ एडी प्रसाद ( सिविल सजर्न, सिमडेगा ), डॉ सुरेंद्रनाथ तिवारी (सिविल सजर्न, कोडरमा), डॉ सत्येंद्र सिंह (सिविल सजर्न, चतरा), डॉ सिद्धार्थ सन्याल (सिविल सजर्न, गिरिडीह), डॉ धर्मवीर (सिविल सजर्न, हजारीबाग), अधीक्षक एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जमशेदपुर, डॉ कमलेश्वर विश्वास (अधीक्षक पीएमसीएच मेडिकल कॉलेज, धनबाद) ऑर डॉ राम बच्चन चौधरी, तत्कालीन सिविल सजर्न, पाकुड़ और वर्तमान जिला आरसीएच सदर अस्पताल गुमला शामिल हैं. सिविल सजर्न गिरिडीह और कोडरमा के नाम पर दूसरी बार नोटिस जारी किया गया है. एक बार पूर्व में उनसे पूछताछ हो चुकी है.
उल्लेखनीय है वित्तीय वर्ष 2010-11 में प्राकृतिक आपदा विभाग ने स्वास्थ्य विभाग को 16 करोड़ रुपये दवा खरीदने के लिए आवंटित किया था, जिसमें गड़बड़ी की बात सामने आयी थी. यह भी बात सामने आयी थी कि जिन कंपनियों से दवा की खरीदारी हुई थी और जिस कंपनी को रुपये का भुगतान किया था. वह कंपनी दवा की निर्माण ही नहीं करती है. मामले में प्रारंभिक जांच स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की थी, लेकिन 17 माह तक जांच में कोई प्रगति नहीं हुई. तब सुजीत कुमार मुखोपाध्याय (निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य) ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के पास पत्र लिखा. यह जानकारी देते हुए कि मामला राज्य के सभी जिलों के सिविल सजर्न, सभी चिकित्सक एवं विभिन्न राज्यों में अवस्थित औषधि निदेशालय से संबंधित है. इस कारण जांच में कठिनाई हो रही है, इसलिए मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करानी चाहिए. इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर मामले की निगरानी जांच शुरू हुई.
रिम्स के पूर्व निदेशक घेरे में
निगरानी ने रिम्स के पूर्व निदेशक तुलसी महतो को जांच के घेरे में रखा है. निगरानी के अधिकारियों के अनुसार रिम्स में जब दवा सहित अन्य सामान की खरीदारी हुई थी, तब रिम्स के निदेशक तुलसी महतो थे, इसलिए उन्हें भी जांच के दायरे में रखा गया है.