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राजीव गांधी हत्याकांड:

सुप्रीम कोर्ट में नलिनी की याचिका खारिज तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया थाएजेंसियां, नयी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा भुगत रही नलिनी की और छह अन्य दोषियों की रिहाई के लिए केंद्र सरकार […]

सुप्रीम कोर्ट में नलिनी की याचिका खारिज तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया थाएजेंसियां, नयी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा भुगत रही नलिनी की और छह अन्य दोषियों की रिहाई के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की अनिवार्यता संबंधी कानून को चुनौती देनेवाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया चीफ जस्टिस एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एके सीकरी की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, ‘सॉरी, हमारी दिलचस्पी नहीं है.’ नलिनी ने इस याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435 (1) को चुनौती दी थी, जिसके तहत यदि सीबीआइ की जांच से संबंधित कोई मामला है तो ऐसे दोषी को समय से पहले रिहा करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र से परामर्श करना होगा. नलिनी पिछले 23 साल से जेल में है. मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किये जाने के कारण वह सजा भुगत रही है. निचली अदालत ने इस मामले में उसे 28 जनवरी, 1998 में मौत की सजा सुनायी थी. याचिका में क्या नलिनी ने याचिका में कहा था कि तमिलनाडु सरकार ने उम्र कैद की सजा भुगत रहे 2200 कैदियों को 15 साल में 10 साल से भी कम समय जेल में बिताने पर रिहा कर दिया था, लेकिन इसके मामले पर सिर्फ इस आधार पर विचार नहीं किया गया कि उसके अपराध की जांच सीबीआइ ने की थी. केंद्र सरकार ने इससे पहले कोर्ट में दलील दी थी कि उसकी सहमति के बगैर तमिलनाडु सरकार ऐसे कैदी को रिहा नहीं कर सकती है. केंद्र सरकार के इस रुख के कारण राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने का राज्य सरकार का निर्णय परवान नहीं चढ़ सका था.

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