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ओके…मुहर्रम के 10 दिन तक महिलाएं भी करती हैं मजलिस

27 हुसपीएच 04- मजलिस करती महिलाएं.हैदरनगर (पलामू). मुहर्रम की चांद रात से ही शिया समुदाय की महिलाएं श्रृंगार व रंगीन कपड़े त्याग देती हैं. चांद रात से ही वह शहीद ए करबला की याद में मजलिस व नौहाखानी करती हैं. हैदरनगर के भाई बिगहा में तीन व बभंडीह में एक इमामबारगाह है. इन चार इमामबारगाहों […]

27 हुसपीएच 04- मजलिस करती महिलाएं.हैदरनगर (पलामू). मुहर्रम की चांद रात से ही शिया समुदाय की महिलाएं श्रृंगार व रंगीन कपड़े त्याग देती हैं. चांद रात से ही वह शहीद ए करबला की याद में मजलिस व नौहाखानी करती हैं. हैदरनगर के भाई बिगहा में तीन व बभंडीह में एक इमामबारगाह है. इन चार इमामबारगाहों में 10 दिन तक लगातार मजलिसों का दौर जारी रहता है. इनमें महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग वक्त मुकर्रर रहता है. महिलाएं दिन-रात शहीद ए करबला का बयान करती रहती हैं. वहीं इस समुदाय के पुरुष कूजा मातम, जंजीरी मातम व ब्लेड मातम करते हैं. इसे देखने दूर-दूर से लोग हैदरनगर आते हैं. इस बार इस समुदाय ने मुंबई व बिहार के मुजफ्फरपुर से मौलाना बुलाया हैं. इस वर्ष इमामबारगाहों में इन्हीं मौलाना द्वारा तकरीर की जा रही है.

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