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कानून में बदलाव करना पड़ेगा

अप्रवासी भारतीयों के लिए प्रॉक्सी वोटिंग या ई-मतपत्र के पक्ष में चुनाव आयोग, पर कहा एजेंसियां, नयी दिल्लीचुनाव आयोग ने अप्रवासी भारतीयों के लिए प्रॉक्सी वोटिंग, ई-मतपत्र की व्यवस्था का समर्थन किया है, लेकिन वह उनके लिए अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावासों में मतदान की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है. चुनाव आयोग ने […]

अप्रवासी भारतीयों के लिए प्रॉक्सी वोटिंग या ई-मतपत्र के पक्ष में चुनाव आयोग, पर कहा एजेंसियां, नयी दिल्लीचुनाव आयोग ने अप्रवासी भारतीयों के लिए प्रॉक्सी वोटिंग, ई-मतपत्र की व्यवस्था का समर्थन किया है, लेकिन वह उनके लिए अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावासों में मतदान की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है. चुनाव आयोग ने कहा कि विदेश मंत्रालय अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावासों में मतदान की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है. मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत ने कहा, ‘हम किसी चीज के खिलाफ नहीं है, लेकिन वहीं करेंगे, जो भी व्यवहारिक होगा.’ कहा कि चुनाव आयोग, कानून मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने से पहले सभी वर्गों से राय ली है. संपत ने कहा कि अप्रवासी भारतीयों को रक्षाकर्मियों की तर्ज पर प्रॉक्सी वोटिंग और ई-मतपत्र की सुविधा देने के लिए कानून में बदलाव करना पड़ेगा. कहा कि इसके लिए विधायी तंत्र की जरूरत पड़ेगी. सांसदों को विचार करना होगा.’ संपत ने कहा कि प्रस्ताव मंजूर होने के बाद अप्रवासी भारतीयों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मतपत्र भेजे जायेंगे और ये उन्हें ‘व्यक्तिगत रूप से’ चुनाव अधिकारियों को लौटाने होंगे. ये हैं मुश्किलें चुनाव आयुक्त ने दूतावासों पर अप्रवासी भारतीयों को मतदान की मंजूरी ना देने से जुड़े व्यवहार्यता संबंधी पहलू को स्पष्ट करते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय का मानना है कि ऐसा करना मुश्किल होगा, क्योंकि कुछ देशों में अप्रवासी भारतीयों की आबादी स्थानीय आबादी के बराबर हो सकती है और ऐसे में दूतावास पर मतदान कराना मुश्किल होगा. कहा कि दूसरी समस्या है कि कुछ देशों में लोकतंत्र नहीं हैं और ऐसे में वे अप्रवासी भारतीयों के अपने लोकतांत्रिक अधिकार के इस्तेमाल पर विरोध जता सकते हैं. चुनाव आयोग का तर्क संपत ने कहा, ‘समिति का मानना है कि ई-डाक मतपत्र उन्हें प्रक्रिया के सत्यापन और एक या दो निर्वाचन क्षेत्रों में प्रारंभिक कार्यान्यवन के बाद इस्तेमाल में लाया जा सकता है और फिर व्यवहारिक, साध्य होने एवं स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव के उद्देश्यों के अनुकूल पाये जाने के बाद संसदीय चुनाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.’ इस व्यवस्था में रिक्त डाक मतपत्र अप्रवासी भारतीयों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे जाते हैं और डाक द्वारा लौटाये जाते हैं.समिति ने तैयार की है रिपोर्ट विदेश में रहने वाले मतदाताओं को मतदान का विकल्प देने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के बाद उप चुनाव आयुक्त विनोद जुत्शी के नेतृत्व वाली एक 12 सदस्यीय समिति ने 50 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 20 (ए) के चलते उत्पन्न ‘मूलभूत असमानता’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. यह धारा मतदान के समय अप्रवासी भारतीयों के अपने स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से मौजूद होने पर जोर देती है.क्या है प्रावधान चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, पंजीकरण के बाद विदेशों में रहनेवाले मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्र में होने वाले चुनाव में उस क्षेत्र के मतदान केंद्र में व्यक्तिगत रूप से अपना वोट डाल सकेंगे, जहां वह विदेश में रहनेवाले मतदाता के तौर पर पंजीकृत है. अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, कोई व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसने किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल नहीं की है और मतदाता के रूप में पंजीकरण की पात्रता रखता है और रोजगार, शिक्षा या दूसरे कारण से भारत स्थित अपने सामान्य आवास स्थल से अनुपस्थित है, अपने पासपोर्ट में उल्लेखित भारत स्थित अपने आवास स्थल वाले निर्वाचन क्षेत्र मेंे मतदाता के तौर पर पंजीकरण की पात्रता रखता है.

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