आपस में ही उलझ रहे हैं कांग्रेसी

आनंद मोहन संगठन के अंदर गुटबाजी, चुनाव में पड़ सकता है महंगा रांची : प्रदेश में कांग्रेस पस्त है. कांग्रेस के बड़े नेता संगठन की जमीन मजबूत करने के बजाय अपने में ही उलझे हैं. कांग्रेस के अंदर विवाद और गुटबाजी थम नहीं रही. प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत के खिलाफ लॉबिंग से लेकर प्रदेश स्तरीय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 25, 2014 5:30 AM
आनंद मोहन
संगठन के अंदर गुटबाजी, चुनाव में पड़ सकता है महंगा
रांची : प्रदेश में कांग्रेस पस्त है. कांग्रेस के बड़े नेता संगठन की जमीन मजबूत करने के बजाय अपने में ही उलझे हैं. कांग्रेस के अंदर विवाद और गुटबाजी थम नहीं रही. प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत के खिलाफ लॉबिंग से लेकर प्रदेश स्तरीय नेता आपस में भिड़ रहे हैं.
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से पहले ही रास्ता बनाना मुश्किल हो रहा है. वहीं संताल परगना के कई नेता झामुमो के साथ गंठबंधन को लेकर नाराज हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु ने तो प्रभारी के कामकाज पर ही सवाल उठा दिया है. प्रभारी द्वारा झामुमो को नेतृत्व दिये जाने के बयान से कांग्रेस के बड़े नेता नाराज हैं.
इधर प्रदेश अध्यक्ष ने सांसद श्री बलमुचु को पत्र भेज कर बयानबाजी ना करने की हिदायत भी दे दी है. सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, फुरकान अंसारी, मनोज यादव, आलमगीर आलम जैसे नेताओं की प्रदेश नेतृत्व से दूरी है.
डॉ अजय का बढ़ा कद पचा नहीं पा रहे नेता
जमशेदपुर से सांसद रहे पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ अजय कुमार का कद कांग्रेस में बढ़ा है. हाल में ही झाविमो छोड़ कर आये डॉ अजय ने केंद्रीय टीम में जगह बना ली है. डॉ अजय का प्रदेश स्तर पर भी राजनीतिक दखल बढ़ा है. केंद्रीय नेतृत्व ने डॉ अजय को आगे किया है. डॉ अजय झामुमो से गंठबंधन सहित दूसरे मामले देख रहे हैं. सूचना के मुताबिक टिकट बंटवारे में भी इनकी भूमिका होगी. प्रदेश के बड़े नेता इसे पचा नहीं पा रहे हैं.
अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सिमटे नेता
कांग्रेस के मंत्री, विधायक,पूर्व विधायक और प्रदेश के नेता अपने-अपने क्षेत्र तक सिमटे हैं. ज्यादातर नेता अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ये नेता राज्य में संगठन बनाने की जगह आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर टेंशन में हैं. दूसरे दलों से मिल रही चुनौती के बीच रास्ता निकालने में इनका समय जा रहा है. संगठन के कार्यक्रम में औपचारिकता पूरी की जा रही है. प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में विधायकों-पूर्व विधायकों की रुचि नहीं रहती.

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