बॉलीवुड से हॉलीवुड तक कैमरे के पीछे निभा रहीं बड़ा रोलएजेंसियां, मंुबईहिंदी सिनेमा में सिर्फपरदे पर ही नहीं, बल्किउसके पीछे भी महिलाओं का जलवा है. क्वीन, मैरी कॉम और मरदानी जैसी फिल्में आ रही हैं, वहीं परदे के पीछे बतौर प्रोड्यूसर भी महिलाएं उभर रही हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि महिलाएं सिर्फहाउस बिजनेस तक ही सीमित नहीं बल्किउन्हें बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों की बाजीगरी की भी समझ है. तभी तो अनिल कपूर की साहबजादी रिया कपूर अपनी बहन सोनम की तरह हीरोइन बनने में यकीन नहीं करतीं और परदे के पीछे से ही सारे कमाल करना चाहती हैं. बॉलीवुड में चिक फ्लिक्स (ऐसी रोमांटिक फिल्में जो खास तौर पर महिला दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बनायी जाती हैं. इसकी शुरु आत करने वाली रिया कहती हैं, ‘मुझे िएक्टंग का कोई शौक नहीं है. मुझे फिल्म के साथ शुरू से लेकर आखिर तक जुड़े रहने में मजा आता है.’सुपरस्टार प्रोड्यूसर्स बॉलीवुड को हॉलीवुड की दिखाई राह पर चलने के लिए जाना जाता है. फीमेल प्रोड्यूसर्स के मामले में भी ऐसा ही है. हॉलीवुड में कई फीमेल सुपरस्टार इन दिनों नामी प्रोड्यूसर बन चुकी हैं. मसलन, एंजेलिना जोली (मलेफिशंट), रॉबिन राइट (द कांग्रेस), नाओमी वॉट्स (अडोर) और एनी हाथवे (सांग वन). इसी तरह बॉलीवुड में लारा दत्ता चलो दिल्ली (2011), प्रीति जिंटा इश्क इन पेरिस (2013) और शिल्पा शेट्टी ढिश्कियाऊं (2014) से प्रोडक्शन के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं. प्रियंका चोपड़ा मैडमजी और अनुष्का चोपड़ा एनएच10 के साथ इस फेहरिस्त में नये नाम हैं. अपने कैरियर की ढलान को देखते हुए कहो ना प्यार है (2000) फेम अमीषा पटेल देसी मैजिक प्रोड्यूस कर रही हैं. वहीं, देव डी फेम माही गिल भी शॉर्ट फिल्म मवाद के साथ प्रोडक्शन के क्षेत्र में कदम रख चुकी हैं.बॉक्स ऑफिस पर धमाल यह अच्छी कहानियों और बिजनेस की समझ की ही देन है कि गुनीत मोंगा की द लंच बॉक्स विदेशों में कमाई करने के मामले में कई बड़ी फिल्मों को मात दे चुकी है. 10 करोड रु पये के बजट में बनी यह फिल्म दुनियाभर में लगभग 84 करोड़ रु पये कमा चुकी है. कमाई के मामले में इस साल रिया कपूर की 12 करोड़ रु पये की खूबसूरत अभी तक लगभग 37 करोड रु पये, तो एकता कपूर की 36 करोड में बनी एक विलेन ने बॉक्स ऑफिस पर 136 करोड रु पये कमाये हैं. कृषिका लुल्ला की 2013 की हिट रोमांटिक फिल्म रांझणा ने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड रु पये कमाये थे, जबकि इसका बजट 35 करोड़ रु पये था.यानी सिर्फ घर ही नहीं बल्कि वे बॉक्स ऑफिस का गुना-भाग भी जानती हैं. ट्रेड एक्सपर्ट अतुल मोहन कहते हैं, ‘नयी प्रोड्यूसर स्ट्रांग प्रोडक्शन हाउसेज से हैं, और अपनी पहचान खुद बना रही हैं. दस साल में माहौल पूरा बदला है, और आगे भी प्रोडक्शन में औरतों की मजबूत उपिस्थति दर्ज होगी.’विश्व में भारतीय सिनेमा बॉलीवुड में महिला प्रोड्यूसर्स की संख्या में इजाफा हो रहा है, इसमें कोई शुबहा नहीं. लेकिन यह अब भी नाकाफी और ग्लोबल एवरेज के मामले में काफी कम है. इसका खुलासा युनाइटेड नेशंस प्रायोजित दुनियाभर की फिल्मों में महिला कैरेक्टर्स को लेकर की गयी ग्लोबल स्टडी से हो जाता है. इसके मुताबिक, भारत में सिर्फ 15.2 फीसदी फीमेल प्रोड्यूसर हैं, जबकि ग्लोबल एवरेज 22.7 फीसदी है. इसके मुताबिक, अगर कैमरे के पीछे महिलाओं की बात की जाए, तो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अनुपात 6.2 पुरु षों पर एक महिला का बैठता है. चंद्रप्रकाश मानते हैं कि औरतें फिल्मों में पहले सिर्फ हेयर स्टाइलिस्ट तक ही सीमित थीं, मेकअप आर्टिस्ट तक पुरु ष हुआ करते थे. वे कहते हैं, ‘मुझे यह बात हमेशा चुभती थी, लेकिन अब समय बदल गया है. मैं इसे अच्छा रु झान मानता हूं, क्योंकि औरतें अच्छा मैनेजमेंट करती हैं. सिनेमा हमेशा से मेल डोमिनेटिंग रहा है, इससे नयापन भी आता है.’ इस नयेपन की शुरु आत बॉलीवुड में हो चुकी है.
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परदे के पीछे भी है महिलाओं का जलवा
बॉलीवुड से हॉलीवुड तक कैमरे के पीछे निभा रहीं बड़ा रोलएजेंसियां, मंुबईहिंदी सिनेमा में सिर्फपरदे पर ही नहीं, बल्किउसके पीछे भी महिलाओं का जलवा है. क्वीन, मैरी कॉम और मरदानी जैसी फिल्में आ रही हैं, वहीं परदे के पीछे बतौर प्रोड्यूसर भी महिलाएं उभर रही हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि महिलाएं सिर्फहाउस बिजनेस तक […]
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