एजेंसियां, टोरंटोकिसी व्यक्ति का अच्छा या खराब मूड ही उसकी चाल को प्रभावित नहीं करता, बल्कि उनके चलने के अंदाज से भी उनका मूड बन या बिगड़ सकता है. एक ताजा अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.अध्ययन में पता चला है कि जो लोग हाथ या कंधों को बिना हिलाये बेहद निराशाजनक चाल चलते हैं वे हाथ और कंधों को हिलाते हुए उत्साह से चलने वाले लोगों की अपेक्षा कहीं अधिक दुख महसूस करते हैं.अध्ययन का मकसदकनाडा में ओंटारियो स्थित क्वींस विश्वविद्यालय के निकोलस ट्रोज ने कहा कि यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है कि हमारा मूड और हमारी भावनाएं हमारी चाल को प्रभावित करती हैं. लेकिन हम यह देखना चाहते थे कि क्या हमारी चाल भी मूड और भावनाओं को प्रभावित करती है.यह था अध्ययनअध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को ‘संुदर’, ‘भय’, ‘उत्तेजना’ जैसे सकारात्मक एवं नकारात्मक शब्दों की सूची दिखायी, उसके बाद उनसे ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा और प्रतिभागियों की शैली और शारीरिक भाषा का अध्ययन किया. इसके बाद प्रतिभागियों से पहले दिखायी गयी सूची में शामिल शब्दों को याद कर उन्हें लिखने के लिए कहा गया.ये रहे नतीजेइस अध्ययन के नतीजे में पाया गया कि जो लोग ट्रेडमिल पर निराशाजनक तरीके से चल रहे थे, उन्हें सूची में से ज्यादातर नकारात्मक शब्द याद थे, जबकि जो लोग उत्साहजनक चाल चल रहे थे, उन्होंने ज्यादातर सकारात्मक शब्द लिखे. ट्रोज ने कहा कि प्रतिभागियों द्वारा सूची के शब्दों को याद करने की परिपाटी से पता चलता है कि जो लोग निराशाजनक चाल चल रहे थे, वे और भी ज्यादा निराशाजनक स्थिति में चले गये, जिससे उन्हें नकारात्मक शब्द ज्यादा याद रहे.
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आपकी चाल बदलेगी आपका मूड
एजेंसियां, टोरंटोकिसी व्यक्ति का अच्छा या खराब मूड ही उसकी चाल को प्रभावित नहीं करता, बल्कि उनके चलने के अंदाज से भी उनका मूड बन या बिगड़ सकता है. एक ताजा अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.अध्ययन में पता चला है कि जो लोग हाथ या कंधों को बिना हिलाये बेहद निराशाजनक चाल […]
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