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लांग ड्राइव पर जाना है शौक

प्रमुख शिल्पकार अमिताभ मुखर्जी ने शेयर की निजी बातें रांची : राजधानी के नक्षत्र वन, और शहीद चौक में मूर्ति कला से राजधानी को नया रूप देनेवाले अमिताभ मुखर्जी झारखंड के प्रमुख शिल्पकारों में से एक हैं. अमिताभ फिलहाल हेरिटेज भवन के संरक्षण के कार्य से जुड़े हुए हैं. वे राजधानी में स्थित आड्रे हाउस […]

प्रमुख शिल्पकार अमिताभ मुखर्जी ने शेयर की निजी बातें रांची : राजधानी के नक्षत्र वन, और शहीद चौक में मूर्ति कला से राजधानी को नया रूप देनेवाले अमिताभ मुखर्जी झारखंड के प्रमुख शिल्पकारों में से एक हैं. अमिताभ फिलहाल हेरिटेज भवन के संरक्षण के कार्य से जुड़े हुए हैं. वे राजधानी में स्थित आड्रे हाउस को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं. घर में थ्री डी स्टूडियो1989 में बायोलॉजी से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डिग्री हासिल करने अमिताभ कोलकाता गये थे. इसके बाद से वे विजुअल आर्ट्स, शिल्प कला और अन्य विधाओं से लगातार जुड़े रहे हैं. उन्होंने अपने घर में थ्री डी स्टूडियो की भी स्थापना की है. परिवार में पत्नी और एक बेटी है. वीकेंड में अमिताभ अपने परिवार वालों के साथ ही छुट्टी बिताना पसंद करते हैं. बेटी और खुद की इच्छा के अनुरूप रविवार अथवा शनिवार को नन वेज का बेहतर डिश घर में बनता है. खाने के शौकीन रहने की वजह से कभी-कभार खुद किचन संभालते हैं. वैसे बेटी प्रतिष्ठा के कहने पर रेस्तरां अथवा लांग ड्राइव पर जाना भी शौक है. पत्नी भी पति का साथ रसोई और रेस्तरां में भोजन की पसंद में निभाती हैं, लेकिन बेटी को अधिक तवज्जो दी जाती है. पत्नी हैं डबल एमएपत्नी शास्वती मुखर्जी भी डबल एमए हैं. उन्होंने बीएड, क्लासिकल सिंगिंग में प्रभाकर की उपाधि भी ली है. इसके अलावा पेंटिंग, गीता रीसाइटेशन में भी शास्वती ने कई पुरस्कार प्राप्त किये हैं. इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद भी शास्वती, एक सफल गृहिणी के रूप में पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं. उनका कहना है कि पति अधिकतर समय बिजी रहते हैं, लेकिन घर में रहने पर पूरे परिवार को अधिक समय देते हैं. बेटी प्रतिष्ठा मुखर्जी बिशप वेस्टकॉट गर्ल्स स्कूल डोरंडा में छठी कक्षा की छात्रा है. ………………..दादाजी थे बेहतर पेंटररिश्तेदार स्व. डॉ भोलानाथ चक्रवर्ती के कहने पर ही अमिताभ ने कला संस्कृति को अपना शैक्षणिक फील्ड बनाया. बकौल अमिताभ उनकी तीसरी पीढ़ी इस फील्ड से जुड़ी है. उनके दादा जी भी बेहतर पेंटर और वायलीन वादक थे. पिता भी पेंटिंग कला से जुड़े थे. कोलाज बनाने में पिता की महारत थी. पारिवारिक विरासत को संभालने की जिम्मेवारी अब उनके कंधे पर है. डॉ भोलानाथ के निर्देशन पर कोलकाता के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज से बैचलर इन विजुअल आर्ट्स स्कल्पचर की पांच वर्षीय डिग्री भी हासिल की है. वे कहते हैं कि डॉ भोलानाथ की वजह से ही आज उन्होंने यह मुकाम हासिल की है.

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