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महिलाओं पर होने वाले अपराध का गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान हो: डीजीपी

फोटो अमित दास देंगे वर्ष 2001 के मुकाबले वर्ष 2013 में महिलाओं के खिलाफ 6 हजार अधिक अपराध हुएरांची: यूनिसेफ और सीआइडी के प्रयास से महिला एवं बाल संरक्षण से संबंधित कानून पर पुलिस को जानकारी देने के लिए तीन दिवासी कार्यशाला का शुभारंभ बुधवार से एटीआइ सभागार में हुआ. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि […]

फोटो अमित दास देंगे वर्ष 2001 के मुकाबले वर्ष 2013 में महिलाओं के खिलाफ 6 हजार अधिक अपराध हुएरांची: यूनिसेफ और सीआइडी के प्रयास से महिला एवं बाल संरक्षण से संबंधित कानून पर पुलिस को जानकारी देने के लिए तीन दिवासी कार्यशाला का शुभारंभ बुधवार से एटीआइ सभागार में हुआ. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डीजीपी राजीव कुमार ने कार्यशाला का उदघाटन किया. उन्होंने कहा: महिला और बच्चों के खिलाफ होनेवाले अपराध से संबंधित जो मामले दर्ज होते हैं, उन मामलों में पुलिस सिर्फ चार्जशीट दाखिल करने के लिए अनुसंधान नहीं करे, महिलाओं और बच्चों को प्रताडि़त करने वाले आरोपियों को न्यायालय से सजा भी दिलाने का काम करे. इसके लिए पुलिस गुणवत्तायुक्त अनुसंधान सुनिश्चित करे. डीजीपी ने कहा: केस में आरोपी को सजा मिलने से समाज में भय का माहौल कायम होता है. आरोपी को सजा मिलने से अपराध में कमी आयेगी. सीआइडी एडीजी एसएन प्रधान ने कहा कि पुलिस का काम सिर्फ वीआइपी ड्यूटी तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. एडीजी ने कहा अमूमन किसी भी वीआइपी के साथ विधि व्यवस्था की समस्या हो, तो पुलिस उसमें त्वरित कार्रवाई करती है. इसी तरह की कार्रवाई किसी महिला के साथ छेड़छाड़ होने की सूचना मिलने पर पुलिस को करनी चाहिए. आइजी सीआइडी संपत मीणा ने कहा कि वर्ष 2011 में महिलाओं के ऊपर जो अपराध हुए थे, उसके मुकाबले वर्ष 2013 के अंत से महिलाओं के खिलाफ छह हजार अधिक मामले दर्ज किये गये. इससे स्पष्ट है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि हुई है. पुलिस के पास सीमित संसाधन हैं. इसके बावजूद पुलिस को केस का बेहतर अनुसंधान करना चाहिए, ताकि पीडि़त महिला को न्याय मिल सके. कार्यशाला में ट्रेनिंग के लिए मौजूद डीएसपी से लेकर एएसआइ रैंक के पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए सीआइडी एसपी अखिलेश झा ने कहा: जब कोई पीडि़त महिला अपनी शिकायत लेकर थाना पहुंचती है, तब उसे या तो महिला थाना या सीआइडी के पास भेजा दिया है. महिला के खिलाफ अत्याचार को रोकने की जिम्मेवारी सिर्फ सीआइडी या महिला थाना तक सीमित नहीं है. राज्य के सभी थाना प्रभारियों की यह जिम्मेवारी है कि जब कोई महिला उनके पास शिकायत लेकर पहुंचती है, तब तुरंत महिला की शिकायत दर्ज कर उस पर कार्रवाई की जाये. कार्यशाला में सीआइडी के एसपी तमिल वानन, यूनिसेफ के पदाधिकारी सहित अन्य पुलिस अफसर उपस्थित थे. आइजी के पूछने पर एक पुलिस पदाधिकारी भी नहीं दे पाये जवाब कार्यशाला के दौरान ट्रेनिंग में पहुंचे डीएसपी से लेकर एएसआइ तक से सीआइडी आइजी संपत मीणा ने यह जानना चाहा कि कितने पुलिस अफसरों को महिला और बच्चों के संरक्षण से संबंधित कानून की जानकारी है. यदि किसी को जानकारी है, वे खड़े हो जायें. इस पर एक पुलिस पदाधिकारी भी खड़ा होकर कानून की जानकारी नहीं दे पाये. थोड़ी देर बाद सभी पुलिस पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें सिर्फ 50 प्रतिशत कानून की ही जानकारी है. इस पर डीजीपी राजीव कुमार ने कहा कि जिन पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. उनसे अपेक्षा होगी कि वे अपनी जानकारी दूसरे पुलिस पदाधिकारियों को भी दें. इसके साथ जिन पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेनिंग दी जायेगी. कुछ समय पर उनकी परीक्षा भी ली जायेगी, ताकि यह पता चल सके कि पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेनिंग का लाभ मिला या नहीं.

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