तेनुघाट की यूनिट नंबर एक करीब 20 दिनों से बंद हैइनलैंड से उत्पादन ठप हुआआधुनिक से भी कम हो रहा है उत्पादनरांची समेत पूरे राज्य में लोड शेडिंग कर की जा रही आपूर्तिवरीय संवाददाता, रांची झारखंड के पावर प्लांट इन दिनों कोयले की संकट से जूझ रहे हैं. पावर प्लांटों को कोयला नहीं मिल रहा है. मिल भी रहा है तो आवश्यकता से काफी कम. इस कारण तेनुघाट व आधुनिक थर्मल की एक-एक ही यूनिट चल रही है. दूसरी ओर छोटे पावर प्लांट इनलैंड पावर ने सोमवार से उत्पादन बंद कर दिया. कारण है कि कोयला का स्टॉक पूरी तरह समाप्त हो गया. पावर प्लांटों से उत्पादन ठप होने के कारण दीवाली के दौरान राज्य में बिजली संकट गहराने का खतरा है. झारखंड में प्रतिदिन सौ से 150 मेगावाट बिजली की लोड शेडिंग कर उत्पादन हो रहा है. तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड के एमडी रामअवतार साहू ने बताया कि ललपनियां स्थित पावर प्लांट की यूनिट नंबर एक 25 सिंतबर से बंद है. कुछ तकनीकी खराबी भी है, पर कोयले की कमी भी है. यदि इस यूनिट को चालू कर भी दिया जाय तो कोयला कहां से आयेगा. तेनुघाट को प्रतिदिन सात हजार टन कोयले की जरूरत है. पर चार हजार टन कोयला ही सीसीएल से मिल रहा है. ऐसे में एक ही यूनिट चल सकती है. फिर कुछ स्टॉक जमा हुआ है. चार से पांच दिनों में यूनिट नंबर एक को भी चालू करने का प्रयास किया जायेगा. फिलहाल तेनुघाट की यूनिट नंबर दो से 170 से 180 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. आधुनिक थर्मल पावर प्लांट की भी एक यूनिट ही चल रही है. इसकी क्षमता 540 मेगावाट है. पर उत्पादन केवल 150 मेगावाट ही हो रहा है. पूरी क्षमता से उत्पादन होने पर आधुनिक द्वारा बिजली बोर्ड को 122 मेगावाट बिजली दी जाती थी. इससे जमशेदपुर व आसपास के इलाकों में बिजली आपूर्ति की जाती है. पर उत्पादन कम हो जाने की वजह से अभी केवल 50 मेगावाट ही बिजली बोर्ड को मिल रहा है. आधुनिक ग्रुप के इडी अमृतांशु प्रसाद का कहना है कि कोयले की कमी हो गयी है. पावर प्लांट के लिए प्रति माह 2.4 लाख टन कोयला की जरूरत है. पर 80 हजार टन ही मिल पा रहा है. नवंबर से इसे 40 हजार टन किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में पावर प्लांट चलाना मुश्किल हो गया है. इनलैंड से उत्पादन ठप गोला स्थित इनलैंड पावर की भी यही स्थिति है. इनलैंड पावर की एक यूनिट से 60 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, जिससे रांची में आपूर्ति होती है. पर कोयले की कमी की वजह से सोमवार से इस पावर प्लांट से भी उत्पादन ठप हो गया है. कंपनी के अधिकारी संजय सिंह बताते हैं कि दो हजार टन कोयले की जरूरत प्रति दिन है. पर इतनी मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है. जेएसएमडीसी से करार हुआ है. पर 32 हजार टन की जगह एक माह में 10 हजार टन कोयला ही मिलेगा. वहां लोकल ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के कारण कोयले का उठाव नहीं हो पा रहा है. इसे देखते हुए प्लांट को बंद करना पड़ा है. पीटीपीएस से भी उत्पादन कमइधर बिजली उत्पादन निगम की पीटीपीएस से भी उत्पादन कम हो रहा है. इसकी यूनिट चार और 10 से उत्पादन ठप है. केवल यूनिट नंबर छह से 30 मेगावाट उत्पादन हो रहा है. बताया गया कि तकनीकी वजहों से उत्पादन कम हो रहा है. इधर झारखंड ऊर्जा विकास निगम के डीपीआर पांडय रमणीकांत सिन्हा ने कहा कि बिजली की कमी नहीं होने दी जायेगी. जरूरत पड़ेगी तो अतिरिक्त बिजली खरीदी जायेगी, पर उपभोक्ताओं को कोई परेशानी नहीं होने दी जायेगी.
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कोयले की कमी से जूझ रहे हैं राज्य के पावर प्लांट
तेनुघाट की यूनिट नंबर एक करीब 20 दिनों से बंद हैइनलैंड से उत्पादन ठप हुआआधुनिक से भी कम हो रहा है उत्पादनरांची समेत पूरे राज्य में लोड शेडिंग कर की जा रही आपूर्तिवरीय संवाददाता, रांची झारखंड के पावर प्लांट इन दिनों कोयले की संकट से जूझ रहे हैं. पावर प्लांटों को कोयला नहीं मिल रहा […]
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