रांची : राज्य के सभी सरकारी बस डिपो को सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर विकसित करेगी. परिवहन विभाग ने इसके लिए परामर्शी बहाल किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आइडीएफसी) को बस डिपो के इस्तेमाल का खाका खींचने के लिए कहा गया है.
योजना एवं विकास विभाग पूरे काम की मॉनीटरिंग कर रहा है. आइडीएफसी ने मुख्य सचिव और विकास आयुक्त के समक्ष राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थित बस डिपो, वर्कशॉप और बस स्टैंड की जमीन का सर्वे कर प्रारंभिक रिपोर्ट पेश कर दी है. परामर्शी ने बस डिपो के सार्वजनिक इस्तेमाल के साथ-साथ व्यावसायिक इस्तेमाल करने की सलाह भी दी है.
बेकार पड़ी है अरबों की जमीन : परिवहन विभाग के स्वामित्व वाली सरकारी बस स्टैंड की जमीन अरबों रुपये की है. राज्य के दर्जन भर से ज्यादा जिलों में शहरों के प्रमुख स्थानों पर स्थित जमीन का अभी कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है.
राज्य में पथ परिवहन निगम का गठन नहीं होने के कारण ज्यादातर शहरों में बस स्टैंड, डिपो और वर्कशॉप का कोई इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. कई जगहों पर जमीन का अतिक्रमण भी शुरू हो गया है. इन्हीं वजहों से राज्य सरकार अब पीपीपी मोड पर बेकार पड़ी जमीन को विकसित करने की योजना पर काम कर रही है.
तैयार होगी 102.21 एकड़ जमीन के इस्तेमाल की योजना : आइडीएफसी को राज्य के विभिन्न जिलों में सरकार बस डिपो के रूप में चिह्न्ति कुल 102.21 एकड़ जमीन के इस्तेमाल की योजना बनाने का जिम्मा सौंपा गया है. रांची में 16.58 एकड़, जमशेदपुर में 18.55, धनबाद में 18.42, देवघर में 10.14, दुमका में 12.77, गोड्डा में 3.20, हजारीबाग में 3.84, पलामू में 3.50, गुमला में 4.20, चाइबासा में 2.05, बोकारो में 4.0, गिरिडीह में 4.29, कोडरमा में 3.30 और बरही में 2.0 एकड़ जमीन के इस्तेमाल की योजना तैयार की जा रही है.