वृद्धावस्था पेंशन में कमीशन लेने का मामला
रांची :सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन में कमीशन लेनेवाले सहित चार अफसरों को दिया गया दंड माफ करने से इनकार कर दिया है. इन अधिकारियों ने राज्य सरकार से सजा माफ करने की अपील की थी. सरकार ने जिनकी सजा माफ करने से इनकार किया है, उनमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बंका राम, ब्रज शंकर प्रसाद सिन्हा, नरेंद्र कुमार सिन्हा और रवींद्र कुमार के नाम शामिल हैं.
शिकारीपाड़ा के तत्कालीन अंचलाधिकारी ब्रज शंकर प्रसाद सिन्हा पर सामाजिक सुरक्षा राशि में गड़बड़ी का आरोप था. उन पर वृद्धावस्था पेंशन भुगतान के दौरान लाभुकों से 600 रुपये पर अंगूठे का निशान लगवाने और 400 रुपये ही भुगतान करना का आरोप था. इसके अलावा एक ही हलका कर्मचारी को सामाजिक सुरक्षा मद की राशि से 31.14 लाख रुपये का अग्रिम देने और 16.76 लाख रुपये का सामंजन नहीं करने का आरोप था. इसके साथ ही मौजा काठ पहाड़ में चेक नाका लगा कर नाजायज तरीके से 10 हजार रुपये की वसूली करने व गैर सरकारी व्यक्ति को सरकारी आवास में रख कर उसके माध्यम से वसूली करवाने का आरोप लगाया गया था. इन आरोपों के मद्देनजर विभागीय कार्यवाही के बाद संचालन अधिकारी ने आरोपी अफसर के जवाब को असंतोषप्रद माना था.
विभागीय कार्यवाही के बाद सरकार ने इस अधिकारी को जबरन सेवानिवृत्त कराने और पेंशन राशि से 10 प्रतिशत की कटौती का दंड दिया था. आरोपी अधिकारी ने इस दंड के खिलाफ अपील की थी. सरकार ने अपील खारिज करते हुए दंड बहाल रखने का फैसला किया है. सरकार ने राज्यपाल द्वारा 18 मार्च 2013 को रातू प्रखंड के औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाये गये रवींद्र कुमार की सजा माफ करने से भी इनकार कर दिया है.
इस अधिकारी को कार्यालय से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने की वजह से एक वेतन वृद्धि रोकने का दंड दिया गया था. सरकार ने नागेंद्र कुमार सिन्हा नामक अधिकारी को दिया गया दंड भी माफ करने से इनकार कर दिया है. इस अधिकारी ने राज्य विभाजन के समय गया जिले से गुरारू प्रखंड में अपने पदस्थापन के दौरान ग्राम रैना में 3.72 एकड़ जमीन बंदोबस्ती एक ही परिवार के नाम कर दी थी. राज्य विभाजन के बाद इस अधिकारी की सेवा झारखंड सरकार को दे दी गयी. इसके बाद राज्य सरकार ने बिहार से आवश्यक दस्तावेज मंगा कर विभागीय कार्यवाही संचालित की.
विभागीय कार्यवाही में दोषी पाये जाने के बाद इस अधिकारी को एक वेतन वृद्धि रोकने से संबंधित दंड दिया गया था. कुडू प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी बंका राम पर मनरेगा के तहत जेट्रोफा की खेती में गड़बड़ी करने का आरोप था. इस अधिकारी ने सेवा मित्र नामक संस्था को जेट्रोफा की खेती के लिए पहले दिये गये अग्रिम का हिसाब लिये बिना ही बतौर अग्रिम दूसरे किस्त के रूप में 8.83 लाख रुपये का भुगतान किया था. 2007 में पौधों की आपूर्ति से संबंधित वाउचरों में ओवर राइटिंग कर 2008 में आपूर्ति दिखायी थी.
बिहार के वैशाली जिले के चौरसिया नर्सरी नामक संस्था को पौधा खरीदने के एवज में 8.83 लाख रुपये का नकद भुगतान किया था. इसके अलावा एससी, एसटी की 50 हेक्टेयर जमीन पर जेट्रोफा की खेती में 20.40 लाख रुपये की गड़बड़ी की थी. विभागीय कार्यवाही में आरोपी अधिकारी के जवाब को संतोषजनक नहीं पाये जाने के बाद सरकार ने पांच वेतन वृद्धि रोकने का दंड दिया था.