रांची: राजधानी में हत्या समेत अन्य वारदात बढ़ते जा रहे हैं. स्थिति यह है कि पुलिस जिस शैली में काम कर रही है, वैसी स्थिति में पुलिस का खौफ अपराधियों में खत्म होता चला जा रहा है.
अपराधी बेखौफ होकर हत्या और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देते चले जा रहे हैं, जबकि पुलिस अधिकांश मामलों में अनुसंधान के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही करती रही है. इसका लाभ अपराधियों को मिलता रहा है.जहां तक पुलिस की बात है, जब भी वह किसी अपराधी को पकड़ती है, तब पुलिस उसके खिलाफ चाजर्शीट तो कर देती है, लेकिन समय में न्यायालय में गवाह का बयान नहीं दर्ज करा पाती है. इसका लाभ अपराधी उठाते हैं और उन्हें जमानत मिल जाती है. ऐसी स्थिति में अपराधियों में पुलिस के प्रति भय खत्म हो जाता है, जिसके बाद वे फिर से नये अपराध की ओर बढ़ जाते हैं.
अपहरण के बाद की थी हत्या
मेन रोड स्थित गुप्ता भंडार के मालिक विष्णु दयाल गुप्ता के पुत्र महेश गुप्ता उर्फ लकी का 25 जुलाई 2008 को अपहरण कर लिया गया था. अपहरण की घटना में उसके दोस्त ही शामिल थे. राहुल और इमरान उसे यह कह कर फन कैसल पार्क ले गये कि राहुल की बर्थ डे पार्टी है. बाद में उसे बालूमाथ की ओर ले गये. बाद में कुड़ू पहुंचे. जहां सुधीर टोप्पो भी अपराधियों के साथ शामिल हो गया. अमझरिया घाटी ले जाने के बाद तीनों ने लकी को बताया कि उसका अपहरण किया गया है. उसके पिता से 10 लाख की फिरौती मांगी गयी. बाद में हाथापाई के दौरान तीनों ने उसकी हत्या कर दी थी.
चार हुए थे गिरफ्तार
पुलिस ने घटना में शामिल होने के आरोप में चार अपराधियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार अपराधियों में राहुल, इमरान, सुधीर टोप्पो और जुनैद शामिल थे. एक अन्य अपराधी किशोरी टोप्पो फरार था. राहुल, संत जेवियर कॉलेज में लकी के साथ ही पढ़ता था.
अधिकारी ने बचाया था
खबर है कि केस में एक पुलिस अधिकारी ने न्यायालय को यह बता दिया कि राहुल को मैंने रांची में ही बिना हेलमेट के स्कूटर चलाते हुए पकड़ा था. इसी के आधार पर राहुल को जमानत मिल गयी. बताया जाता है कि राहुल हाल ही में जेल से जमानत पर बाहर निकला था.