(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हुबहू भाषण)झारखंड के सोब भाई बहिन मन के जोहारमोय, गेलक लोकसभा चुनाव के आगे झारखंड आय हो.. झारखंड एक सुंदर प्रांत हेके. और अपन सब मन सुंदर आही. झारखंड एक धनी प्रांत हेके. मगर बेसी झारखंडी मन गरीब आहे. आउर मोर सरकार इकर दशा के सुधारेके चाहत हो.झारखंड के प्यारे भाइयों बहनों. कुछ समय पहले चुनाव अभियान के निमित्त बार बार मेरा झारखंड आना हुआ. मैंने विकास के विषय में हर बार आपके सामने बातें रखी थी. मैं झारखंड के नागरिकों का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि आपने विकास के मार्ग को चुना है. आपने हमें भारी समर्थन दिया है. मैं झारखंडवासियों को विश्वास दिलाने आया हूं. आपने मुझे जो प्यार, जो समर्थन और जो शक्ति दी है. इसके लिए मैं झारखंड का अंत:करण से आभार प्रकट करता हूं. झारखंड के मेरे प्यारे भाइयों बहनों सिर्फ आभार व्यक्त कर के अपना कर्तव्य पूर्ण नहीं मानता. आपने जो प्यार दिया है, उसे ब्याज समेत लौटाने आया हूं. विकास के माध्यम से मैं यह प्यार ब्याज समेत लौटाने आया हूं. झारखंड में हिंदुस्तान का सबसे समृद्ध राज्य बनने की क्षमता है. अगर मैं अपने गुजरात के अनुभव से कहूं, तो गुजरात से भी अनेक गुणा आगे बढ़ने की ताकत झारखंड के पास है. जिस राज्य के पास इतनी बड़ी प्राकृतिक संपदा हो. जिस राज्य के पास ऐसे कर्तव्यवान नौजवान हो. जिस राज्य के पास बिरसा मुंडा जैसे महापुरुष के प्यार और तपस्या की परपंरा हो. वह राज्य पीछे रहने के लिए पैदा नहीं हुआ है. अटल बिहारी बाजपेयी ने झारखंड राज्य बनाया. उन्होंने इस सपने के साथ बनाया था कि खनिजों से परिपूर्ण यह राज्य न सिर्फ झारखंड का भला करेगा, बल्कि पूरे देश का भला करेगा. इस सपने के साथ झारखंड का निर्माण हुआ. भाइयों बहनों झारखंड की यह स्थिति हमें मंजूर नहीं है, हमें इसे बदलना है. मिलजुल कर बदलना है. झारखंड को प्रगति की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है. आज यहां कई योजनाओं का शिलान्यास करने का सौभाग्य मिला है. मैं हैरान हूं. यहां पर कर्णपुरा का सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट का अटल जी ने 10 वर्ष पूर्व शिलान्यास किया था. उसके बाद से यह वहीं का वहीं पड़ा है. आप बताइये भाइयों बहनों यह अन्याय है कि नहीं. जनता कहती है अन्याय है. यह अन्याय जाना चाहिए की नहीं. जनता कहती है…जाना चाहिए. मुझे लगता है कि बाजपेयी जी ने जहां काम छोड़ा है, उसे आगे बढ़ाना शायद मेरे ही भाग्य में लिखा हुआ है. करीब 1500 हजार करोड़ रुपये की लागत से एक बिजली कारखाना बनेगा. इससे न सिर्फ झारखंड का अंधेरा छंटेगा. बल्कि इस देश में उजाला फैलेगा. आज मुझे रांची में ट्रांसमिशन लाइन के लोकार्पण का भी अवसर मिला है. यह ट्रांसमिशन लाइन सिर्फ बिजली को ले जायेगा, ऐसा नहीं है. ये ट्रांसमिशन लाइन यहां बिजली लायेगी, ऐसा नहीं है. यह ट्रांसमिशन लाइन पूरब को पश्चिम के साथ जोड़नेवाली लाइन है. यह सिर्फ ऊर्जा को वहन करनेवाली नहीं है. बल्कि जन जन की ताकत के रूप में आयी है. इसके कारण विकास की नयी ऊर्जा पूरे भारत को प्राप्त होगी. इसमें बड़ी भूमिका झारखंड निभानेवाला है. मैं मानता हूं कि हम भारत को महान बनाना चाहते हैं. हम विकास को नयी ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता हैं. ऐसे में कोई भी हिस्सा दुर्बल नहीं होना चाहिए. आज हम देखते हैं कि भारत के पश्चिम क्षेत्र में कुछ गतिविधियां नजर आती है. लेकिन हम मध्य से पूर्व की ओर देखते हैं तो वे विकास की प्रतीक्षा कर रहे हैं. गरीबी ने उनके सपनों को चूर-चूर कर रखा है. दिल्ली में आपने जिस सरकार को बैठाया है. उस सरकार का सपना है. पूरब हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण. भारत का विकास संतुलित होना चाहिए. पूरब को भी उसका फायदा मिलना चाहिए. ये जो ट्रांसमिशन लाइन है वह भविष्य में झारखंड के विकास में अहम भूमिका निभानेवाली है. यहां जो बिजली पैदा होगी. जब हिंदुस्तान के कोने कोने पहुंचेगी तो झारखंड के आंतरिक स्थिति में भी बदलाव आयेगा. कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी. इसमें हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. मैं नहीं जानता कि यह खबर झारखंड के अखबार में छपी है कि नहीं. लेकिन मैं जब दिल्ली से निकला तो कुछ अखबार के कोने में एक दो लाइन यह खबर दिखायी दे रही थी. सामान्य तौर पर अगर राज्यों को भारत सरकार से कुछ लेना हो तो मुख्यमंत्रियों को चक्कर लगाने होते हैं. कई बार दिल्ली जाना पड़ता है. सांसद को भी जाना पड़ता है. दिल्ली में इनसे कहा जाता है कि आपकी बात अच्छी है हम देखेंगे. जब दोबारा जाते हैं तो जवाब मिलता है अच्छा नहीं हुआ फिर देखेगें. ये देखते ही देखते 10 साल चले गये. भाइयों बहनों दिल्ली में बैठी सरकार का यह विश्वास है कि अगर भारत को आगे बढ़ाना है तो राज्यों को आगे बढ़ाना होगा. हम राज्यों के प्रति उदासीन नहीं रह सकते. राज्यों की उपेक्षा कर बात को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं. ये दिल्ली में बैठी सरकार सभी राज्यों की सहायक और मददगार होना चाहती है. यही वजह है कि हमने दिल्ली में कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण फैसला किया. खनिज संपदा की रायल्टी बढ़ाने का. झारखंड को इससे 400 करोड़ का फायदा होगा. एक बार नहीं. हर वर्ष होगा. इसके लिए हेमंत सोरेन को कभी दिल्ली नहीं आना पड़ा. न कभी मेमोरेंडम देना पड़ेगा. हम सामने से लेकर आये हैं. सबको मिल कर देश को आगे बढ़ाना है. जन जन की ताकत को जोड़ कर आगे बढ़ाना है. आज एक ऑयल टर्मिनल का भी लोकार्पण हुआ है. इससे कारण पूरे क्षेत्र में ऑयल पहुंचाने की सुविधा बढ़ने वाली है. एक महत्वपूर्ण बात हमें कहनी है कि आने वाले दिनों में गैस बेस इकोनॉमी बढ़नेवाली है. देश में डोमेस्टिक उपयोग के लिए, ट्रांसपोटेशन के लिए, ऊर्जा के लिए, उद्योग के लिए गैस के सार्वधिक उपयोग कैसे हो. इसका नेटवर्क कैसे तैयार हो. उस दिशा मेंं काम करना है. जगदीशपुर, फुलपुर, हल्दिया गैस पाइप लाइन आने वाले दिनों में यह काम भी सरकार हाथ में लेने वाली है. इसके कारण गोरखपुर हो, वाराणसी हो, पटना हो, जमशेदपुर हो, दुर्गापुर, कोलकाता हो. पाइप से घर घर गैस पहुंचाने का हमारा मकसद है. अब गैस सिलिंडर के लिए हमारी माताओं बहनों को इंतजार नहीं करना पडे़गा. जैसे नल मंे पानी आता है. वैसे गैस आने लगेगा. यहां पर विकास की काफी संभावना है. यहां (झारखंड) पर इलेक्ट्रोनिक गुड्स और औद्योगिक विकास की बड़ी संभावना है. अगर न जरूरत होती, तो जमशेदपुर नहीं बनाया होता. लेकिन बीच के कालखंड में सब कट गया. यहां पर इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स के निमार्ण के लिए बहुत संभावना है. यहां के लोगों को रोजगार मिले,इलेक्ट्रॉनिक गुड्स मैनुफैक्चरिंग का यहां काम हो. केंद्र सरकार इसको प्राथमिकता देना चाहती है. आज छोटे छोटे उपकरण भी विदेशों से लाने पड़ते हैं. वो लाना बंद होगा और भारत की आवश्यकता की पूर्ति में झारखंड का भी कुछ न कुछ योगदान हो उस दिशा में हम आगे जाने वाले हैं. झारखंड के नौजवानों को अच्छी शिक्षा मिले. इसको लेकर रांची में ट्रिपल आइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी) का काम भी जल्द प्रारंभ करनेवाले हैं. आप कल्पना कर सकते हैं कि झारखंड को आगे बढ़ाने के लिए हम कितना काम कर सकते हैं. 15 अगस्त को लालकिला से एक बात कही थी डिजिटल इंडिया का वक्त बदल चुका है. अगर थोड़े समय के लिए टेलीफोन बंद हो जाये. उसकी कनेक्टिविटी नहीं रहे तो आप परेशान हो जाते हैं कि नहीं. मोबाइल फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो जाये तो परेशान हो जाते हैं कि नहीं? मोबाइल फोन के बिना जिंदगी संभव है क्या? झारखंड जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में भी मोबाइल ने जिंदगी में जगह बना ली है. इसका कारण है टेक्नोलॉजी और उसका कारण है सरलता. क्या हम अपनी पूरी शासन व्यवस्था में ऐसी सरलता ला सकते हैं कि नहीं ला सकते. सामान्य नागरिक के लिए सरकार आपकी हथेली में हो यह मेरा सपना है. सरकार दिल्ली में बैठी हो. सरकार रांची में हो. सरकार हिंदुस्तान की जनता की हथेली में हो. यह काम है डिजिटल इंडिया का. आपके मोबाइल फोन में पूरी की पूरी सरकार लायी जा सकती है. आप मोबाइल फोन से सरकार में क्या काम है. कहां काम है. कैसे काम है. यह सारी बात आप मोबाइल से कर सकते हैं. इतना टेक्नोलॉजी का विकास हुआ है. लेकिन भारत इसमें काफी पीछे है. इसकी शुरुआत कहीं से तो की जानी चाहिए. इस सपना को पूरा करने के लिए पूरी शासन व्यवस्था का सरलीकरण हो. डिजिटल फॉर्म में सरकार का काम उपलब्ध हो. देश का सामान्य से सामान्य नागरिक यहां पहुंच जाये. घर बैठे पहुंच पाये. ऐसी व्यवस्था हो. सामान्य नागरिक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैसे उसे पाइप से पानी मिलता है. गैस मिलता है. इसी प्रकार डिजिटल से इनफॉरमेशन मिले. ऐसा करने की कल्पना के साथ आज झारखंड की धरती से इस डिजिटल इंडिया के संकल्प की शुरुआत हुई है. नेटवर्क को और ताकतवर बनाने की परिकल्पना. इन प्रयासों का यह परिणाम होगा कि झारखंड भी डिजिटल में अपनी जगह बना लेगा. भाइयों और बहनों यह सरकार इतनी तेजी से क्यों चल रही है. एक के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय क्यों कर पा रही है. मेरे झारखंड के भाइयों बहनों ये इसलिए कर पायी है कि देश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में एक सरकार को चुना है. अगर हमे भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला होता. अस्थिरता होती. गंठजोड़ होता, तो शायद मैं जिस विश्वास से निर्णय ले रहा हूं. नहीं ले पाता. पूर्ण बहुमत का महत्व मैं समझता हूं. देश समझता हैं. स्थिर शासन का महत्व मैं समझता हूं. झारखंड के लोग भी समझते हैं. झारखंड एक महत्वपूर्ण उम्र के दौर से गुजर रहा है. झारखंड की उम्र हो गयी है कि 13-14 साल. अगर परिवार में बेटा या बेटी जब 13-14 साल का हो जाता है तो मां बाप उनकी स्पेशल केयर करते हैं. ज्यादा चिंता करते हैं. अच्छा स्कूल-कॉलेज मिले. अच्छे दोस्त मिलें. उसका विकास हो. यह उम्र ऐसी होती है कि जिसमें बेटे और बेटी का भविष्य निर्भर करता है. इससे पूरी जिंदगी बनती है. व्यक्ति के जीवन में भी 13-18 का जैसा महत्व होता है. उसी प्रकार राज्य के जीवन में भी होता है. इसलिए अब झारखंड उस महत्वूर्ण उम्र के दौर मंे प्रवेश कर रहा है. आपको तय करना है कि झारखंड 18 साल का हो तो झारखंड कैसा होना चाहिए. इस महत्वूर्ण समय में झारखंड कैसा होे. झारखंड के सपने कैसे हो. झारखंड की योजनाएं कैसी हो. उनको चलानेवाली व्यवस्था कैसी हो. इस पर गंभीरता से सोचने का समय है. यह सोचने का समय झारखंड की जनता के पास आया है. येे झारखंड के महत्ववूर्ण वर्ष विकास के रास्ते में बने रहे. झारखंड की 13-14 उम्र का दौर झारखंड को नयी ऊचाइयों को प्राप्त करनेवाला बने. नये सपने हो. नयी ऊर्जा हो. उसे प्राप्त करने के लिए राज्य की सवा तीन करोड़ झारखंडवासियों का अननगिनत प्रयास हो, तो भाइयों और बहनों जिस बिरसा मुंडा को लेकर हम सीना तान कर घूम रहे हैं. वहीं जनता देश के सामने सीना तान कर खड़ी हो सकती है.
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…..मेरा सपना है कि सरकार जनता की हथेली में हो
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