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Friday, March 29, 2024

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धनबाद आइएसएम को आइआइटी टैग की उम्मीद में छात्र

चुनावी सभा में मोदी ने की थी इसकी चर्चाधनबाद. आइआइटी टैग के लिए इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आइएसएम) के छात्रों को मोदी सरकार से काफी आशाएं हैं. करकेंद की चुनावी सभा में बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आइएसएम को आइआइटी टैग दिये जाने की बात कही थी. लेकिन अभी तक इस दिशा […]

चुनावी सभा में मोदी ने की थी इसकी चर्चाधनबाद. आइआइटी टैग के लिए इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आइएसएम) के छात्रों को मोदी सरकार से काफी आशाएं हैं. करकेंद की चुनावी सभा में बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आइएसएम को आइआइटी टैग दिये जाने की बात कही थी. लेकिन अभी तक इस दिशा में पहल शुरू नहीं हुई है. पिछले 27 जुलाई को छात्रों ने मोदी सरकार को वादा याद दिलाने के लिए जिला मुख्यालय पर धरना दिया था. इसके बाद स्थानीय भाजपा सांसद पीएन सिंह ने वहां पहुंच कर कहा था कि वह छात्रों को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मिलेंगे. मामले पर फैसला आइआइटी एकेडमी काउंसलिंग को लेना है.आइएसएम कब क्यात्रवर्ष 1994 में प्रो एस संपत कमेटी ने आइएसएम, आइआइटी बीएचयू एवं यूनिवर्सिटी ऑफ रूड़की को आइआइटी का दर्जा देने की स्वीकृति दी, लेकिन आइएसएम ने इसे लेने से इनकार कर दिया.त्रवर्ष 2006 के जनवरी महीने में आइआइटी खड़गपुर के पूर्व निदेशक प्रो अमिताभ घोष के अधीन एक कमेटी गठित हुई, जिसने जोरदार तरीके से आइएसएम को आइआइटी स्टेटस देने की बात कही.त्रवर्ष 2008 के सात मई को एक प्रस्ताव झारखंड के मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव को भेजी गयी. इसमें आइएसएम को आइआइटी में तब्दील करने की बात कही गयी थी.त्रवर्ष 2009 में आइएसएम के 1998 बैच के नीलमणि सिंह ने एक ऑनलाइन मुहिम चलायी, जिस पर 4990 छात्रों ने हस्ताक्षर कर इसका सपोर्ट किया. इसी वर्ष फरवरी में आइएसएम टीचर्स एसोसिएशन ने भी माना कि झारखंड सरकार और आइएसएम विवि की रुचि को देखते हुए आइएसएम को आइआइटी में अपग्रेड किया जाना चाहिए. 14 अक्तूबर 2009 को राहुल गांधी आइएसएम पहुंचे थे और मामले को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास ले जाने का आश्वासन दिया था. 31 अक्तूबर 2009 को 1958 बैच के जीसी मृग ने इसके सपोर्ट में पत्र लिखा. 21 नवंबर 2009 को तत्कालीन सांसद इंदर सिंह नामधारी ने संसद में इस संबंध में प्रश्न किया, जिसके जवाब में कहा गया कि यह 11 वीं पंचवर्षीय योजना में शामिल नहीं है. 18 अगस्त 2009 को आइएसएम की एग्जिक्यूटिव बोर्ड ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट एमएचआरडी को दी. 26 अगस्त 2009 को तत्कालीन राज्यपाल के शंकर नारायणन ने मामले को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के पास भेजा. फिर करीब 300 विद्यार्थी रांची में केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय से मिले, जिसमें श्री सहाय ने मामले को केंद्रीय मंत्री श्री सिब्बल के पास उठाने का आश्वासन दिया. 23 सितंबर 2009 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी. क्या है मौजूदा स्थिति त्रपर्याप्त शिक्षक, आधारभूत संरचना व संसाधन के आधार पर झारखंड विधान सभा में इस योजना को बहुत पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.त्र दो सौ से अधिक सांसदों ने इसके समर्थन में पिछली सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा था. त्रयोजना आयोग ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना में भी इसे शामिल कर लिया है.त्र19-20 जनवरी को आइआइटी एकेडमी काउंसलिंग की एक्सपर्ट कमेटी ने आइआइटी टैग के मुद्दे पर आइएसएम का दौरा करके अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है. —————————————————————————————————–सिंदरी में सेल की फैक्टरी लगेगी? 35 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना सवालों के घेरे में सिंदरी. यूपीए-टू के शासन काल में सेल के चेयरमैन सीएस वर्मा ने सिंदरी में 35 हजार करोड़ की लागत से स्टील, उर्वरक व पावर प्लांट लगाने की घोषणा की थी. लेकिन काम की गति काफी धीमी है. सेल चेयरमैन सीएस वर्मा के अनुसार सिंदरी एफसीआइ की जमीन संबंधी समस्या के कारण प्लांट नहीं खोला जा रहा. उनका कहना है कि एफसीआइ पहले विस्थापन, अतिक्रमण व जमीन-आवास संबंधी समस्या का समाधान करे, वह फैक्टरी लगाने को तैयार हैं.आधुनिक भारत का मंदिरगौरतलब है कि सिंदरी में एशिया महादेश का पहला सार्वजनिक खाद कारखाना था. नेहरू जी ने सिंदरी को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था. मगर वाजपेयी सरकार के शासन काल में इसे बंद कर दिया गया. इसकी घोषणा पांच सितंबर 2002 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री सुषमा स्वराज ने की थी. इससे पहले 31 दिसंबर 2001 को कारखाने के 2200 कर्मियों को जबरन वीआरएस दे दिया गया था. इसके साथ ही चार हजार ठेका मजदूर भी बेरोजगार हो गये थे. बीआइएफआर का फैसलाइसके बाद यूपीए वन के शासनकाल में सिंदरी सहित देश के आठ सार्वजनिक उर्वरक कारखानों को खोलने का निर्णय लिया गया तो सिंदरी में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कैबिनेट ने जून 2004 में बीआइएफआर को अपनी मंशा से अवगत कर दिया तो बीआइएफआर ने कारखाना बंद करने की घोषणा नहीं की. 2007 में कैबिनेट निर्णय के बाद कारखाना खोलने की घोषणा कर दी गयी. पुन: 12 अप्रैल 2012 को कैबिनेट ने गैस आधारित कारखाना खोलने का निर्णय लिया और 27 जून 2013 को बीआइएफआर ने देश के बंद पड़े उर्वरक कारखानों को खोलने की अनुमति दे दी.बीच में आयी थी तेजीबीआइएफआर से निकलते ही यूपीए-टू के शासन काल में सेल के चेयरमैन ने सिंदरी में 35 हजार करोड़ की लागत से स्टील, उर्वरक व पावर प्लांट लगाने की घोषणा की. इसके लिए सेल अधिकारियों ने दौरा भी शुरू किया. सेल सिंदरी प्रोजेक्ट के नाम से चासनाला में ऑफिस भी खुला.

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