काश ये लंबित कार्य भी समय पर पूरे होते

रांची : काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार लॉ यूनिवर्सिटी का कैंपस तैयार हो गया और इसमें 18 अगस्त से पढ़ाई भी शुरू हो गयी. झारखंड बनने के बाद इस राज्य में और भी कई संस्थानों को खोलने की योजना बनी, लेकिन सभी योजानाएं जमीन की आस में या फिर विवाद के कारण पूरी नहीं हो […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2014 8:00 PM

रांची : काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार लॉ यूनिवर्सिटी का कैंपस तैयार हो गया और इसमें 18 अगस्त से पढ़ाई भी शुरू हो गयी. झारखंड बनने के बाद इस राज्य में और भी कई संस्थानों को खोलने की योजना बनी, लेकिन सभी योजानाएं जमीन की आस में या फिर विवाद के कारण पूरी नहीं हो सकी. केंद्रीय विवि : केंद्रीय विवि का नया कैंपस कांके प्रखंड अंतर्गत चेरी-मनातू में ढाई वर्षों से बन रहा है. विवि के लिए 500 एकड़ जमीन का प्रस्ताव है. सरकार 319 एकड़ जमीन ही दे पायी है. बाकी 181 एकड़ जमीन पर अभी विवाद चल रहा है. सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण किया जाना है. कैंपस के लिए एप्रोच रोड नहीं बन पाया है. इससे नये कैंपस में पठन-पाठन शुरू नहीं हो सका है. फिलहाल इस निर्माण कार्य की सीबीआइ जांच भी चल रही है. आइआइएम : चेरी मनातू में ही आइआइएम के नये कैंपस का शिलान्यास हुआ, लेकिन अभी तक यहां काम शुरू नहीं हो सका है. यहां भी लगभग 10 एकड़ जमीन पर विवाद चल रहा है. सरकार को जमीन अधिग्रहण करना है. पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने इसका शिलान्यास किया है. वर्तमान में यह संस्थान राज्य सरकार द्वारा बनाये गये सूचना भवन के एक हिस्से में चल रहा है. हालांकि सरकार ने पूर्व में नगड़ी में इसके लिए जमीन चिह्नित की, लेकिन ग्रामीणों ने विरोध किया. रांची विवि : राज्य सरकार ने झारखंड बनने के बाद रांची विवि के लिए पिठोरिया के बाद जमीन चिह्नित किया, लेकिन यह जमीन अभी तक विवि को हैंडओवर नहीं हो सकी है. चिह्नित जमीन में कई हिस्से रैयती हैं. एक हिस्से में मसजिद है. कुछ हिस्सों की जमीन का मुआवजा भी बंट गया. इसके बावजूद विवि को जमीन नहीं मिल पायी है. ट्रिपल आइटी : झारखंड बनने के बाद ट्रिपल आइटी के लिए राज्य सरकार पूर्व में अनगड़ा स्थित गेतलसूद में जमीन चिह्नित की है, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद कांके प्रखंड स्थित नगड़ी में जमीन चिह्नित की गयी. यहां जमीन अधिग्रहण के दौरान ग्रामीणों का विरोध हुआ. फलस्वरूप सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा. अब इस संस्थान के लिए कांके प्रखंड के ही सांगा गांव में जमीन चिह्नित की गयी है.

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