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अमेरिकी आव्रजन बिल से भारत को भारी नुकसान

एजेंसियां, नयी दिल्लीअमेरिकी संसद के निचले सदन में रिपब्लिकन सभा की भारत अमेरिकी परामर्श परिषद (आइएसीसी) ने कहा है कि यदि आव्रजन विधेयक कानून का रूप ले लेता है, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना 30 अरब डॉलर का नुकसान होगा जिसमें आइटी उद्योग सबसे अधिक प्रभावित होगा. यह विधेयक अमेरिकी संसद में विचाराधीन है. […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीअमेरिकी संसद के निचले सदन में रिपब्लिकन सभा की भारत अमेरिकी परामर्श परिषद (आइएसीसी) ने कहा है कि यदि आव्रजन विधेयक कानून का रूप ले लेता है, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सालाना 30 अरब डॉलर का नुकसान होगा जिसमें आइटी उद्योग सबसे अधिक प्रभावित होगा. यह विधेयक अमेरिकी संसद में विचाराधीन है. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा को भारत से जुड़े मुद्दे पर सलाह देनेवाली आइएसीसी ने कहा कि ‘अमेरिकी आव्रजन विधेयक एस744’ में उन वीजाधारकों के लिए काम की आउटसोर्सिंग में उल्लेखनीय कटौती की वकालत की गयी है जिन वीजा का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय कंपनियां एवं पेशेवर करते हैं.विधेयक में एच1बी और एल1 वीजा धारकों को भेजे जाने की सीमा तय की गयी है. इसके तहत किसी कंपनी के अमेरिका स्थित कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक संख्या में ऐसे वीजा के तहत कर्मियों को नहीं भेजा जा सकेगा. इसमें एच1बी और एल1 वीजाधारकों के संबंधियों की संख्या का अनुपात भी तय कर दिया गया है.एक करोड़ आइटी पेशेवरों पर असर आइएसीसी के चेयरमैन शलभ कुमार ने बताया, ‘यदि यह विधेयक कानून का रूप लेता है तो भारत की जीडीपी प्रति वर्ष 30 अरब डॉलर घट जायेगी. इसमें रोजगार की स्थिति सबसे अधिक प्रभावित होगी. इसका सीधा प्रभाव यह होगा कि एक करोड़ भारतीय आइटी पेशेवरों के पास कोई काम नहीं होगा.’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर भारतीय आइटी पेशेवर या तो एच1बी या एल1 वीजा पर काम कर रहे हैं. एच1बी वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति की अनुमति देता है और एल1 एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारी को एक कर्मचारी का स्थानांतरण उसी कंपनी की अमेरिकी शाखा या अनुषंगी में करने की अनुमति देता है.

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