एजेंसियां, नयी दिल्लीदेश के प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने कहा है कि न्यायपालिका, संसद और कार्यपालिका के बीच आपसी सम्मान हो और इन सभी पर किसी तरह का कोई बाहरी दबाव नहीं होना चाहिए. चीफ जस्टिस की ये टिप्पणी संसद की ओर से जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम खत्म करने वाले बिल को पास करने के एक दिन बाद आयी है.सुप्रीम कोर्ट परिसर में शुक्रवार को तिरंगा झंडा फहराने के बाद जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि मैं आश्वस्त हूं कि जुडिशरी, कार्यपालिका और संसद में लोग इतने परिपक्व हैं कि वे एक दूसरे के लिए आपसी सम्मान रखें और इसका ध्यान रखें कि ये सभी (संस्थाएं) अपने क्षेत्रों में किसी बाहरी दबाव के बगैर काम कर सकें. उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य के सभी अंग दूसरे के अधिकार क्षेत्र में अतिक्र मण किये बगैर अपने अपने क्षेत्रों में काम करें. गौरतलब है कि जुडिशरी की आपत्ति के बावजूद, संसद ने गुरु वार को ऐसे दो बिलों को मंजूरी दी थी जो दो दशक से ज्यादा वक्त से पुराने कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करके हायर जुडिशरी में जजों की नियुक्ति के लिए नये सिस्टम की व्यवस्था करते है. अपने भाषण में उन्होंने जुडिशरी में एक हजार से भी कम जजों की नियुक्ति का संदर्भ दिया, लेकिन सरकार की ओर से लाये जा रहे प्रस्तावित जुडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन का जिक्र या इस बारे में ज्यादा बात नहीं की.फैसलों में देरी पर बोलेन्यायपालिका में देरी को लेकर होनेवाली आलोचनाओं पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि जहां जुडिशरी (सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के) 1000 से भी कम जजों की नियुक्ति इसके लिए जिम्मेदार है, वहीं राज्य सरकारें निचली अदालतों में 19 हजार जजों की नियुक्तियां करती हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि कहा कि मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट के 31 और हाइकोर्ट के 906 जजों की नियुक्ति करता है.दिल का दर्द किया जाहिरजस्टिस लोढ़ा ने कहा कि जुडिशरी के प्रमुख के तौर पर जब मैं पाता हूं कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम ने काफी परेशानियां, दर्द, मानवाधिकार का हनन किया और मानव स्वतंत्रता से वंचित रखा तो मेरा हृदय पीड़ा महसूस करता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि जेलों में ज्यादातर विचाराधीन कैदी हैं. उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि जेलों में बंद कैदियों में दोषियों से ज्यादातर विचाराधीन कैदी हैं.
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न्यायपालिका पर बाहरी दबाव न हो: सीजेआइ
एजेंसियां, नयी दिल्लीदेश के प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने कहा है कि न्यायपालिका, संसद और कार्यपालिका के बीच आपसी सम्मान हो और इन सभी पर किसी तरह का कोई बाहरी दबाव नहीं होना चाहिए. चीफ जस्टिस की ये टिप्पणी संसद की ओर से जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम खत्म करने वाले बिल को पास […]
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