Pradosh Vrat : महाशिवरात्रि से पहले कैलाश पर आनंदमग्न नृत्य करेंगे भोलेनाथ, आपने प्रदोष व्रत की कर ली है तैयारी…?

रांची : Pradosh Vrat Muhrat 2020 – शुक्रवार को महाशिवरात्रि है और ठीक उसके एक दिन पहले यानी गुरुवार को प्रदोष व्रत है. गुरुवार को भगवान भोलेनाथ आनंदमग्न होकर कैलाश पर नृत्य करेंगे. क्या आपने देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने वाला प्रदोष व्रत की तैयारी कर ली है? अगर नहीं, तो फिर देर मत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2020 8:13 PM

रांची : Pradosh Vrat Muhrat 2020 – शुक्रवार को महाशिवरात्रि है और ठीक उसके एक दिन पहले यानी गुरुवार को प्रदोष व्रत है. गुरुवार को भगवान भोलेनाथ आनंदमग्न होकर कैलाश पर नृत्य करेंगे. क्या आपने देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने वाला प्रदोष व्रत की तैयारी कर ली है? अगर नहीं, तो फिर देर मत कीजिए और अभी ही उसे उसकी तैयारी में जुट जाइए. सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला प्रदोष व्रत का शुभ समय आने ही वाला है.

दरअसल, हिंदू मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला होता है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. मान्यता है कि प्रदोषकाल में देवाधिदेव महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों की स्तुति करते हैं. जो लोग मनोरथों को पूर्ण करना चाहते हैं, वे इस व्रत को रख सकते हैं. प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है. सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है.

जानिये क्या हैप्रदोष व्रतकेमहात्म्य : इस व्रत के महात्म्य को गंगा के तट पर किसी समय वेदों के ज्ञाता और भगवान के भक्त सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को सुनाया था. सूतजी ने कहा कि कलियुग में जब मनुष्य धर्म के आचरण से हटकर अधर्म की राह पर जा रहा होगा, हर तरफ अन्याय और अनाचार का बोलबाला होगा, मानव अपने कर्तव्य से विमुख होकर नीच कर्म में संलग्न होगा, उस समय प्रदोष व्रत ऐसा व्रत होगा, जो मानव को शिव की कृपा का पात्र बनायेगा और नीच गति से मुक्त होकर मनुष्य उत्तम लोक को प्राप्त होगा.

सूत जी ने शौनकादि ऋषियों को यह भी कहा कि प्रदोष व्रत से पुण्य से कलियुग में मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जायेंगे. यह व्रत अति कल्याणकारी है. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति होगी. इस व्रत में अलग-अलग दिन के प्रदोष व्रत से क्या लाभ मिलता है, यह भी सूत जी ने बताया.

भगवान भोलेनाथ सबसे पहले माता सती को बताया था व्रत का महात्म्य : सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को बताया कि इस व्रत के महात्मय को सबसे पहले भगवान शंकर ने माता सती को सुनाया था. मुझे यही कथा महात्मय महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया और यह उत्तम व्रत महात्म्य मैंने आपको सुनाया.

क्या हैप्रदोष व्रतविधि : प्रदोष व्रत के विधान के बारे में सूत जी ने कहा है प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहते हैं. सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस व्रत में देवाधिदेव महादेव भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है. इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. फिर दूसरे दिन सुबह के समय स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप, सहित पूजा करें. संध्या काल में दोबारा स्नान करके इसी प्रकार से शिवजी की पूजा करनी चाहिए. इस प्रकार प्रदोष व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है.

व्रत का लाभ : इस व्रत के करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. भगवान भोलेनाथ की कृपा से तमाम तरह के कष्टों और दुखों से छुटकारा मिल जाता है.

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