लोकतंत्र में असहमति का स्वागत है, लेकिन देश को तोड़ने की बात नहीं कर सकते : वेंकैया नायडू

रांची : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उचित तरीके से उपयोग करने का लोगों से अनुरोध करते हुए रविवार को कहा कि लोकतंत्र में असहमति का स्वागत है, लेकिन इसके नाम पर देश को तोड़ने की बात नहीं कर सकते. नायडू ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 16, 2020 10:45 PM

रांची : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उचित तरीके से उपयोग करने का लोगों से अनुरोध करते हुए रविवार को कहा कि लोकतंत्र में असहमति का स्वागत है, लेकिन इसके नाम पर देश को तोड़ने की बात नहीं कर सकते. नायडू ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र का मतलब चर्चा और बहस है, ना कि तोड़फोड़, अवरोध या विध्वंस.

उन्होंने कहा, ‘(कुछ) लोग कहते हैं लोकतंत्र में असहमति जरूरी है. इसका स्वागत है लेकिन असहमति के नाम पर आप राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ नहीं बोल सकते… इसे सबको समझना होगा.’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अशांति और व्यवधान प्रगति में बाधा डालते हैं. नायडू ने कहा, ‘हमारे पास प्रत्येक पांच साल में किसी (पार्टी) को वोट देने या उसे (सत्ता से) हटाने का अधिकार है. लेकिन लोकतंत्र में हिंसा का स्थान नहीं है. यह राष्ट्र के खिलाफ है और हर किसी को यह समझना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग इस बात की हिमायत करते हैं कि क्रांति बंदूक के बल पर आती है. लेकिन बैलेट (मतपत्र) बुलेट (गोली) से कहीं अधिक शक्तिशाली है. क्रांति की हिमायत करना कुछ लोगों के लिए फैशन बन गया है, लेकिन क्रांति नहीं, बल्कि क्रमिक विकास की जरूरत है.’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती अस्थायी है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्तियां ढांचागत सुधारों में भारत की कवायदों की सराहना कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘यह (आर्थिक सुस्ती का) एक अस्थायी (दौर) है. दीर्घावधि में भारत के विकास को कोई नहीं रोक सकता.’

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