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सूचना आयोग से न्याय मिलने में विलंब

सिर्फ एक सूचना आयुक्त रह गये हंै आयोग में अपील व शिकायत के हजारों मामले हैं लंबितराजेश झारांची : राज्य सूचना आयोग में दायर अपील व शिकायतों के निष्पादन में विलंब हो रहा है. आवेदकों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. आयोग में सूचना आयुक्तों के अधिकतर पद रिक्त हैं. अब मुख्य […]

सिर्फ एक सूचना आयुक्त रह गये हंै आयोग में अपील व शिकायत के हजारों मामले हैं लंबितराजेश झारांची : राज्य सूचना आयोग में दायर अपील व शिकायतों के निष्पादन में विलंब हो रहा है. आवेदकों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है. आयोग में सूचना आयुक्तों के अधिकतर पद रिक्त हैं. अब मुख्य सूचना आयुक्त भी नहीं हैं. यह पद भी रिक्त हो गया है. उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार आयोग में अपील के 4034 मामले और 127 शिकायतवाद लंबित हैं.अपील मामलों की स्थितिवर्ष मामलेनिष्पादितलंबित 200616056104 2007 986765325 2008 15901280635 2009 19511929657 2010 287422701261 2011 304421622143 2012273814143467 2013 208515184034 शिकायतवाद की स्थितिवर्ष मामलेनिष्पादितलंबित 20064315282007 124128242008 11690502009 256213932010 4053381602011 354342172201236761322013 2833127क्या है कारण आयोग की स्थापना के बाद से कभी भी सूचना आयुक्तों का पद नहीं भरा गया. आयोग में एक मुख्य आयुक्त और 10 सूचना आयुक्त के पद सृजित हैं, जबकि वर्ष 2013 में महज एक मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त ही थे. फिलहाल यहां सिर्फ सूचना आयुक्त पीआर दास रह गये हैं. वर्ष 2013 में 1,518 मामले निबटाये गये वर्ष 2013 में सूचना आयोग में कुल 5,552 मामले दर्ज थे. इसमें निवर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त जस्टिस दिलीप कुमार सिन्हा ने 938 मामलों का निपटारा किया. वहीं सूचना आयुक्त प्रबोध रंजन दास ने 530 मामले निबटाये. बेंच में 50 मामलों का निपटारा किया गया. वहीं 4,034 मामलों का निपटारा नहीं हो सका. वहीं आयोग को 160 शिकायत मिलीं. इसमें 33 मामलों का निबटारा किया गया. 127 शिकायतें लंबित रह गये. पुनर्विचार के कुल 43 मामले सामने आये, जिसमें से 26 मामले निष्पादित किये गये. शेष 17 मामले पुनर्विचार के लिए लंबित हैं. 39 जन सूचना पदाधिकारियों को अर्थदंड वर्ष 2013 में समय पर सूचना नहीं देने के दोषी पाये गये 39 जन सूचना पदाधिकारियों पर आयोग ने अर्थदंड लगाया. इसमें न्यूनतम 5000 रुपये से लेकर अधिकतम 25000 रुपये जुर्माना लगाया गया है. वहीं दो पदाधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये का अनुशासनात्मक व एक पदाधिकारी पर क्षतिपूर्ति के एवज मंे 50 हजार रुपया वसूला गया.

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