विवि ने 2012-13 के 90 करोड़ रुपये का नहीं दिया हिसाबवर्ष 2013-14 में 111 करोड़ करना पड़ा था सरेंडर मानव संसाधन विकास विभाग ने की कार्रवाई की तैयारी संवाददाता, रांचीवित्तीय वर्ष 2014-15 के चार माह बीत गये, पर राज्य के विश्वविद्यालयों को अब तक एक पैसा नहीं मिला. विवि की ओर से 2012-13 में उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिये जाने के कारण यह राशि नहीं दी गयी है. मानव संसाधन विकास विभाग ने उपयोगिता नहीं दिये जाने को गंभीरता से लिया है. अगर विश्वविद्यालय उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देंगे, तो राशि लौटानी होगी. उच्च शिक्षा निदेशालय विश्वविद्यालयों से लगातार उपयोगिता प्रमाणपत्र की मांग कर रहा है. विश्वविद्यालयों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिये जाने के कारण वर्ष 2013-14 में उच्च शिक्षा के लिए आवंटित 130 करोड़ में से 111 करोड़ सरेंडर हो गये थे. विवि ने कई बार विभाग को उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने का आश्वासन भी दिया, पर राशि का हिसाब नहीं दिया. विश्वविद्यालयों की ओर से उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कारण वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए विश्वविद्यालयों को राशि का आवंटन नहीं हो सका है. राजभवन से लेकर मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को कई बार निर्देश दिये. इसके बाद भी विश्वविद्यालयों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया. 22 को होगी कुलपतियों की बैठकराज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर की अध्यक्षता में होगी. बैठक में विवि को दी गयी राशि की उपयोगिता समेत आगे की कार्य योजनाओं पर विचार किया जायेगा. उपयोगिता नहीं देने पर आगे की कार्रवाई पर भी निर्णय लिया जायेगा. वर्ष 2014-15 में 134 करोड़ का बजटराज्य वित्तीय वर्ष 2014-15 में उच्च शिक्षा के लिए योजना मद में 134 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने के कारण यह राशि विवि को अब तक नहीं दी गयी है. उल्लेखनीय है कि विवि का पीएल एकाउंट बंद कर दिया गया है. इन कार्यों के लिए दी गयी थी राशि नया कैंपस के लिए 47 करोड़ उच्च शिक्षा निदेशालय ने सिदो-कान्हू विवि, नीलांबर-पीतांबर विवि व कोल्हान विवि के मुख्यालय भवन निर्माण के लिए राशि दी थी. इसमें सिदो-कान्हू को 19 करोड़, नीलांबर-पीतांबर को 15 करोड़ व कोल्हान विवि को 13 करोड़ रुपये दिये गये थे. शोध केंद्र : 50 लाखसभी विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय शोध केंद्र खोले जाने की योजना तैयार की गयी थी. इसके लिए सभी विश्वविद्यालय को 50-50 लाख रुपये दिये गये थे. शोध केंद्र खोले जाने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया. दूरस्थ शिक्षा : 25 लाखमानव संसाधन विकास विभाग ने रांची विश्वविद्यालय को छोड़ सभी विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के लिए राशि आवंटित किया था. सभी विश्वविद्यालय को 25-25 लाख रुपये दिये गये थे. कॉलेजों के लिए 18 करोड़ कोल्हान व सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय में महिला कॉलेज के लिए 11 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. नीलांबर-पीतांबर विवि, विनोबा भावे विवि व कोल्हान विवि के पिछड़े जिलों में स्थित कॉलेजों के लिए सात करोड़ रुपये दिये गये थे. मॉडल कॉलेज : 12 करोड़ दो विश्वविद्यालयों में मॉडल कॉलेज के लिए राशि दी गयी थी. विनोबा भावे विवि को चार करोड़ व सिदो-कान्हू विवि को आठ करोड़ दिये गये थे. पुस्तकालय : 50 करोड़ विश्वविद्यालय को पुस्तकालय के आधुनिकीकरण के लिए 50-50 लाख रुपये दिये गये थे. प्रयोगशाला के लिए रांची विवि को तीन करोड़ व विनोबा भावे विवि को दो करोड़ रुपये दिये गये. (नोट : इनमें से कुछ योजनाओं का उपयोगिता प्रमाणपत्र विवि ने जमा किया.)
उपयोगिता नहीं दिया तो लौटानी होगी राशि
विवि ने 2012-13 के 90 करोड़ रुपये का नहीं दिया हिसाबवर्ष 2013-14 में 111 करोड़ करना पड़ा था सरेंडर मानव संसाधन विकास विभाग ने की कार्रवाई की तैयारी संवाददाता, रांचीवित्तीय वर्ष 2014-15 के चार माह बीत गये, पर राज्य के विश्वविद्यालयों को अब तक एक पैसा नहीं मिला. विवि की ओर से 2012-13 में उपयोगिता […]
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