झारखंड विधानसभा चुनाव : दलबदलुओं को राज्‍य की जनता ने दिखाया बाहर का रास्ता

रांची : झारखंड विधानसभा चुनावों में जनता ने अवसर की तलाश में दल बदलने वाले नेताओं को सबक सिखाते हुए कम से कम नौ लोगों को हार का स्वाद चखाया है. झारखंड विधानसभा चुनावों से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, भाजपा के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी, विधानसभा में पूर्व मुख्य सचेतक और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 24, 2019 5:29 PM

रांची : झारखंड विधानसभा चुनावों में जनता ने अवसर की तलाश में दल बदलने वाले नेताओं को सबक सिखाते हुए कम से कम नौ लोगों को हार का स्वाद चखाया है. झारखंड विधानसभा चुनावों से जुड़े आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, भाजपा के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी, विधानसभा में पूर्व मुख्य सचेतक और कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों एवं अनेक पार्टियों के विधायकों समेत कम से कम नौ दलबदलुओं को जनता ने हार का कड़वा स्वाद चखाया है.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने चुनावों से ठीक पहले पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर आजसू की सदस्यता ले ली थी. उसी की टिकट पर वह बोरियो विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन वह महज 8,955 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. बोरियो सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोबिन हेम्ब्रम के खाते में गयी है. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सूर्य हांसदा को हराया.

वहीं झारखंड की चौथी विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक रहे राधाकृष्ण किशोर ने भी टिकट ना मिलने पर आजसू का दामन थाम लिया और छतरपुर से उसके उम्मीदवार बने. हालांकि उन्हें सिर्फ 16,018 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे. इस सीट से भाजपा की अधिकृत उम्मीदवार पुष्पा देवी ने 64,127 मत हासिल कर राजद के उम्मीदवार विजय कुमार को 26,792 मतों से पराजित किया.

कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों प्रदीप बालमुचु और सुखदेव भगत ने भी दल बदला लेकिन उन्हें इसका कोई लाभ नहीं हुआ. जहां सुखदेव भगत कांग्रेस छोड़कर भाजपा की शरण में आये और भाजपा ने उन्हें उनकी परंपरागत लोहरदगा सीट दे दी. वहीं, प्रदीप बालमुचु ने आजसू का दामन थामकर घाटशिला सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही अपनी सीटें नहीं बचा सके. जहां सुखदेव भगत कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव से 30,150 मतों से हारे, वहीं बालमुचु 31,910 मत प्राप्त कर घाटशिला सीट से तीसरे स्थान पर रहे.

यह सीट झामुमो के रामदास सोरेन ने भाजपा के लखन मार्डी को 6,724 मतों से पराजित कर जीत ली. भाजपा से टिकट कटने के बाद सिंदरी सीट से फूलचंद्र मंडल ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामा लेकिन वह भाजपा के विजयी उम्मीदवार इंद्रजीत महतो से बहुत पीछे रह गये. बसपा के पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर आजसू में शामिल हुए लेकिन उसके टिकट पर वह हुसैनाबाद सीट से कुछ खास नहीं कर सके और 15,490 मत हासिल कर चौथे स्थान पर रहे. यह सीट राकांपा के कमलेश सिंह के हिस्से में आयी है.

इसी प्रकार झामुमो के बहरागोड़ा सीट से विधायक कुणाल षाडंगी और कांग्रेस के बरही से विधायक मनोज यादव ने चुनाव से पहले अक्तूबर में भाजपा का दामन थामा था लेकिन दोनों को बुरी हार मिली है. बहरागोड़ा में झामुमो के समीर मोहंती ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कुणाल को 60,565 मतों के भारी अंतर से पराजित किया. झामुमो के नेता अकील अख्तर जो 2009 में पाकुड़ से पार्टी के विधायक थे उन्होंने टिकट न मिलने पर चुनाव से पूर्व आजसू का दामन थामा लेकिन वह कांग्रेस के आलमगीर आलम से यह सीट हार गये. हालांकि दलबदलुओं की इस लड़ाई में कुछ को जीत का स्वाद चखने को भी मिला है.

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