आगमन का पुण्यकाल-11 : क्षमा उसी को मिलती है, जो क्षमा की याचना करता है

एक राजा ने यह जानने का प्रयास किया कि जो लोग किसी अपराध के कारण दंडित किये जाते हैं, उनमें पश्चाताप की कोई भावना सचमुच आती है या नहीं. अगले दिन वह राज्य के बंदी गृह में पहुंचे और कैदियों से उनके द्वारा किये अपराध के बारे में पूछने लगे.एक कैदी ने कहा- मैंने कोई […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 11, 2019 9:31 AM
एक राजा ने यह जानने का प्रयास किया कि जो लोग किसी अपराध के कारण दंडित किये जाते हैं, उनमें पश्चाताप की कोई भावना सचमुच आती है या नहीं. अगले दिन वह राज्य के बंदी गृह में पहुंचे और कैदियों से उनके द्वारा किये अपराध के बारे में पूछने लगे.एक कैदी ने कहा- मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मैं निर्दोष हूं. दूसरा बोला-मुझे फंसाया गया है.
मैं भी निर्दोष हूं. इसी तरह हर बंदी खुद को निर्दोष साबित करने में लगा रहा. अचानक राजा ने देखा कि एक व्यक्ति सिर झुकाये आंसू बहा रहा था़ राजा ने कारण पूछा, तो उस व्यक्ति ने विनम्रता से कहा- मैंने गरीबी से तंग आकर चोरी की थी. मैंने अपराध किया है, जिसका मुझे दंड मिला है. राजा ने सोचा कि दंड का विधान सभी में प्रायश्चित का भाव पैदा नहीं करता. लेकिन इन कैदियों में यही ऐसा व्यक्ति है, जो अपनी गलती का प्रायश्चित कर रहा है. यदि इसे दंड से मुक्त किया जाये, तो यह अपनी जिंदगी में सुधार कर सकता है.
राजा ने उसे जेल से रिहा कर दिया. बाकी कैदी जिन्होंने खुद को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया था, वे जेल में अपनी अपराध की सजा काटते रहे़
हमारा ईश्वर क्षमा करने वाला ईश्वर है. लेकिन क्षमा उसी को मिलती है, जो क्षमा याचना करता है. अपने पाप के लिए सच्चे दिल से प्रायश्चित करता है और दोबारा वैसी भूल न करने का प्रण लेता है. विनम्रतापूर्वक अपने अपराध कुबूल करने में शर्म कैसी? और, उस ईश्वर से क्या छिपाना, जो पहले से ही सबकुछ जानता है. आगमन काल में हम अपने पाप-गुनाहों के लिए क्षमा मांगे और अपनी आत्मा को शुद्ध और पवित्र करे़ं
– फादर अशोक कुजूर
डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक

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