रांची: शैक्षणिक सत्र 2014-15 के चार माह गुजर गये, पर राज्य के सरकारी स्कूलों की कक्षा एक से आठ में पढ़ रहे लगभग 50 लाख बच्चों को न किताबें मिली और न ही पोशाक. राज्य सरकार पांच माह में किताबों के लिए सिर्फ टेंडर फाइनल कर सकी है.
झारखंड शिक्षा परियोजना ने बच्चों को किताब देने के लिए 24 जनवरी को टेंडर की प्रक्रिया शुरू की थी. पर इसे 16 जून को फाइनल किया गया. इस दौरान एक बार टेंडर रद्द किया गया. दूसरी बार टेंडर की कुछ शर्तो में बदलाव कर दिया गया. अब उम्मीद है कि सितंबर में बच्चों को संभवत: किताबें मिल जायें.
टेंडर की शर्तो में बदलाव
पहले टेंडर में पेपर मिल की कागज उत्पादन क्षमता 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन थी. अब इसे 300 मीट्रिक टन किया गया.
पूर्व के टेंडर में टेस्ट बुक का कवर पेपर 170 जीएसएम, वजिर्न वाइट पल्प बोर्ड का रखा गया था. इसे बदल कर 170 जीएएसएम बंबू वुड /वजिर्न वाइट प्लप बोर्ड कर दिया गया.
पहले टेंडर में वार्षिक एक्साइज क्लीयरेंस सर्टिफिकेट वजिर्न पल्प पेपर के आधार पर देना था. बाद में इसे बंबू/वुड वजिर्न पल्प पेपर कर दिया गया.
पहले पेपर का स्पेशिफिकेशन 70 जीएसएम वाइट क्रीभ वोभ पेपर था. इसे बाद में वाइट मैप लिथो और क्रीभ वोभ पेपर कर दिया गया.
क्यों हुआ किताबों में विलंब
पहले टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई 24 जनवरी
प्री बिड बैठक हुई 03 फरवरी
टेंडर में पहला संशोधन हुआ 07 फरवरी
टेंडर का टेक्निकल बिड खुला 12 मार्च
टेंडर रद्द करने की सूचना 20 मार्च
(कहा गया कि 15 प्रकाशक अयोग्य थे)
दूसरे टेंडर की प्रक्रिया शुरू 07 अप्रैल
प्री बिड बैठक हुई 21 अप्रैल
दूसरे टेंडर में पहला संशोधन 30 मई
दूसरा टेंडर फाइनल हुआ 16 जून
पोशाक वितरण की प्रक्रिया तक शुरू नहीं
एक ओर बच्चों को किताब देने के लिए टेंडर फाइनल कर दिया गया है, पर दूसरी ओर राज्य सरकार ने अब तक इन बच्चों को पोशाक देने की प्रक्रिया तक शुरू नहीं की है. भारत सरकार ने इस वर्ष सर्व शिक्षा अभियान के लिए 1725 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें बच्चों की पोशाक के लिए 185 करोड़ रुपये हैं. इसमें से 225 करोड़ रुपये राज्य को आवंटित भी कर दिये गये. इस आवंटन के बदले राज्य सरकार को 121 करोड़ रुपये का राज्यांश देना है. झारखंड शिक्षा परियोजना को कुल 346 करोड़ रुपये मिलने थे. पर शिक्षा विभाग ने इनमें से 248 करोड़ रुपये की ही निकासी की है. इससे पारा शिक्षक व बीआरपी-सीआरपी के मानदेय और कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्रओं के लिए भोजन के मद में खर्च किये गये. पूरी राशि नहीं मिल पाने के कारण शिक्षा परियोजना केंद्र सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेज सका है. इस कारण केंद्र सरकार ने अगली किस्त नहीं दी गयी.
पिछले साल केंद्र ने रोकी थी राशि
भारत सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2012-13 में 43 लाख बच्चों की पोशाक के लिए राशि दी थी. राज्य सरकार द्वारा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी बच्चों को पोशाक नहीं दी गयी. इस कारण भारत सरकार ने 2013-14 के पोशाक के लिए राशि नहीं दी. इससे बच्चों को पोशाक नहीं मिली.