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सुधार के संकेत स्पष्ट

अर्थव्यवस्था. आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहे कदमइंट्रो:::मध्यपूर्व एशिया में तनाव, अर्जेंटीना का आर्थिक संकट और रूस-यूक्रेन तनाव का असर विश्व के बाजारों पर पड़ रहा है. इसी बीच भारत की अर्थव्यवस्था और बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है. सूखा और घरेलू खुदरा महंगाई दर सरकार के आर्थिक विकास की दिशा में रोड़ा […]

अर्थव्यवस्था. आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहे कदमइंट्रो:::मध्यपूर्व एशिया में तनाव, अर्जेंटीना का आर्थिक संकट और रूस-यूक्रेन तनाव का असर विश्व के बाजारों पर पड़ रहा है. इसी बीच भारत की अर्थव्यवस्था और बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है. सूखा और घरेलू खुदरा महंगाई दर सरकार के आर्थिक विकास की दिशा में रोड़ा साबित हो रहे हैं. इन कठिनाइयों और विडंबनाओं के बीच सरकार ने आर्थिक विकास की ओर कदम बढ़ा दिेये हैं. अब यह रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा पर निर्भर करता है कि वह महंगाई समेत तमाम समस्याओं से निपटने के लिए क्या उपाय सुझाता है. उसके सुझाव और नीतियों पर ही बाजार और अर्थव्यवस्था की नयी दिशा तय होगी. वित्तीय घाटा 4.1 फीसदी तक रहेगा सीमिति : मायारामएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने वित्तीय घाटे को 4.1 फीसदी लक्ष्य के दायरे में रखने को कठिन कार्य माना है. फिर भी उन्होंने सोमवार को भरोसा जताया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत हैं. इससे राजस्व प्राप्ति बढ़ेगी और सरकार वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी. मायाराम ने कहा कि हम वित्तीय घाटे को 4.1 प्रतिशत पर सीमित रखेंगे. हालांकि यह एक कठिन काम है. सरकार ने कई ठोस निर्णय किये हैं. बजट अच्छा है. इससे राजस्व वसूली बढ़ेगी. वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही वित्तीय घाटा पूरे वर्ष के अनुमान के 56 प्रतिशत तक पहुंच जाने के बारे में पूछे जाने पर मायाराम ने कहा कि कुछ महीने होते हैं, जब सरकारी खर्च ऊंचा रहता है. उन महीनों में जरूरी नहीं कि राजस्व वसूली भी ऊंची रहे. जैसा कि सबको पता है कि करों की वसूली निश्चित समयावधि में की जाती है. इसलिए कर प्राप्ति सितंबर में आ सकती है और खर्च मई में हो सकता है.बॉक्स आइटमरिजर्व बैंक तय करेगा बाजार की चालनयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मंगलवार को मौद्रिक समीक्षा की जायेगी. केंद्रीय बैंक की ओर से उठाये गये कदम और दिया गया सुझाव बाजार की दशा-दिशा तय करेंगे. हालांकि वैश्विक संकेतों के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था की बढ़ती-गिरती अर्थव्यवस्था के कारण केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में किसी तरह के बदलाव के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहा है. वह महंगाई के रुख को भांपने के साथ कमजोर मॉनसून से खाद्य पदार्थों के उत्पादन अनुमान को भी ध्यान में रख कर सुझाव देगा. विशेषज्ञों की राय है कि सूखा के चलते खुदरा महंगाई दर में तेज वृद्धि की आशंका भी रिजर्व बैंक के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. हालांकि केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय की ओर से विकास लक्ष्य प्राप्त करने के साथ ही महंगाई को नियंत्रित करने के उपाय भी तलाशे जा रहे हैं. एसपीए कैपिटल के संदीप पारवाल का कहना है कि शेयर बाजार के सूचकांक अपने उच्चतम स्तर पर हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) का निवेश अब भी बाजार के लिए अहम बना हुआ है. मध्यपूर्व में बना तनाव, अर्जेंटीना और रूस के चलते बाजार को कभी भी झटका दे सकता है. ऐसे में निवेशकों के पास खरीद करने का मौका अधिक होगा. बॉक्स आइटमविदेश व्यापार नीति इस माह के अंत तकनयी दिल्ली. पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति इस महीने के अंत तक घोषित किये जाने की संभावना है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा पेश की जानेवाली इस नीति का उद्देश्य विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहित करना है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस नीति के मसौदे का अंतिम रूप दे रहा है. सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि नयी विदेशी व्यापार नीति (एफटीपी) अगस्त के आखिर तक घोषित कर दी जायेगी. नयी नीति में सेवा निर्यात को बढ़ाने, भारतीय उत्पादों के मानकीकरण और उनकी वैश्विक पहचान बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर जोर होगा. पंचवर्षीय व्यापार नीति की वार्षिक आधार पर समीक्षा की जाती है और अनुपूरक उपाय भी घोषित किये जाते हैं. भारत का निर्यात कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बीच पिछले तीन साल से 300 अरब डॉलर के आस-पास ही बना हुआ है. वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए इसमें तेजी लाने की जरूरत है.बॉक्स आइटमविदेशी मुद्रा के लिए बढ़ेगी पेट्रोलियम रिफायनिंग क्षमतानयी दिल्ली. भारत में विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से पेट्रोलियम रिफायनिंग क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है. सरकार ने सोमवार को बताया है कि भारत पर निर्भर विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए देश में पेट्रोलियम पदार्थों के शोधन की क्षमता को बढ़ाने का सतत प्रयास किया जा रहा है. लोकसभा में तथागत सत्पथि के पूरक प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शोधन क्षेत्र को जून 1998 से लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है. देश में कहीं भी निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तकनीकी एवं आर्थिक व्यवहार्यता के अनुरूप रिफायनरी स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 15 वषार्े में देश की तेल शोधन क्षमता 1999 के 69.99 एमएमटी से बढ़ कर 2014 में 215 एमएमटी हो गयी है, जबकि 2013-14 में देश की घरेलू खपत 158.2 एमएमटी रही है.

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