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आसान नहीं है कैडर से निदेशक बनाना

मामला : पशुपालन निदेशालय का मनोज सिंह, रांची पशुपालन विभाग में नियमित निदेशक नहीं है. डॉ (कैप्टन) एजी बंदोपाध्याय के पश्चिम बंगाल चले जाने के बाद से निदेशक का पद अपर मुख्य सचिव आदित्य स्वरूप के प्रभार में है. इस पर कैडर से ही नियमित निदेशक नियुक्ति की मांग की जा रही है. पशुपालन विभाग […]

मामला : पशुपालन निदेशालय का मनोज सिंह, रांची पशुपालन विभाग में नियमित निदेशक नहीं है. डॉ (कैप्टन) एजी बंदोपाध्याय के पश्चिम बंगाल चले जाने के बाद से निदेशक का पद अपर मुख्य सचिव आदित्य स्वरूप के प्रभार में है. इस पर कैडर से ही नियमित निदेशक नियुक्ति की मांग की जा रही है. पशुपालन विभाग के पशुचिकित्सकों ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की थी. हेमंत सोरेन ने पशुचिकित्सकों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों के अनुरूप ही काम होगा. पूरे मामले से पशुचिकित्सकों ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह को भी अवगत कराया था. 30 जुलाई को पशु चिकित्सा संघ की बैठक भी हुई थी. इसमें कैडर से ही निदेशक बनाने की मांग की गयी थी. पशु चिकित्सकों के लिए तैयार सेवा शर्त नियमावली में जिक्र है कि पशुपालन निदेशक का पद तृतीय प्रमोशन का पद होगा. प्रथम प्रमोशन में जिला स्तर, दूसरे प्रमोशन में क्षेत्र स्तर का पद है. राज्य में पशु चिकित्सकों को अब तक प्रमोशन ही नहीं मिला है. इस कारण वर्षों से पशु चिकित्सक बिना प्रमोशन के ही सीनियर पदों पर काम कर रहे हैं. वरीयता सूची तैयार कर ली गयी है, लेकिन केवल वरीयता सूची के आधार पर इनको निदेशक नहीं बनाया जा सकता है. वर्जन…यह विडंबना है. सरकार ने अब तक प्रमोशन नहीं दिया है. इसमें पशुचिकित्सकों की क्या गलती है. अभी अपने ही वेतनमान पर आरडी, डीएचओ, संयुक्त निदेशक का प्रभार दिया जा रहा है, तो निदेशक का प्रभार देने में क्या तकलीफ है. इसके बाद पशु चिकित्सकों को जल्द से जल्द नियमित प्रमोशन देकर स्थायी निदेशक बना दें. डॉ विमल खलखो, अध्यक्ष, पशु चिकित्सक संघ

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