दो दिवसीय मुड़मा जतरा 14 से, तैयारी अंतिम चरण में, दो दिन में होता है लाखों का कारोबार, कुच्चू मेला आज, दुकानें सजी

मांडर : 14 व 15 अक्तूबर को लगने वाले मुड़मा जतरा की तैयारी अंतिम चरण में है. इस जतरा का धार्मिक व सांस्कृतिक ही नहीं क्षेत्र के लिए बड़ा आर्थिक महत्व भी है. इस जतरा में दो दिनों में लाखों का कारोबार होता है. बदलते परिवेश के साथ यह जतरा धीरे-धीरे क्षेत्र के लिए बड़ा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 13, 2019 2:04 AM
मांडर : 14 व 15 अक्तूबर को लगने वाले मुड़मा जतरा की तैयारी अंतिम चरण में है. इस जतरा का धार्मिक व सांस्कृतिक ही नहीं क्षेत्र के लिए बड़ा आर्थिक महत्व भी है. इस जतरा में दो दिनों में लाखों का कारोबार होता है.
बदलते परिवेश के साथ यह जतरा धीरे-धीरे क्षेत्र के लिए बड़ा बाजार के रूप में परिवर्तित हो गया है. यहां आधुनिक खेल तमाशे, बिजली चालित झूले, ड्रैगन रेस, ब्रेक डांस, मौत का कुआं, हिंडोला, सर्कस व मनोरंजन के दर्जनों साधन उपलब्ध रहते हैं.
कृषि उपकरण, सौंदर्य प्रसाधन, लोहे के पारंपरिक हथियार व वाद्य यंत्र, तीर धनुष तथा खाद्य पदार्थ की सैकड़ों दुकानें लगती है. यह जतरा ईख के लिए बड़ा बाजार माना जाता है. आम तौर पर खुले बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होनेवाली बांस की एक खास सब्जी हड़ुवा के अलावा डिम्बो, चाकोड़ साग, नगाड़ा, मांदर, ढाक, ढोलक, मछली मारने का जाल भी यहां उपलब्ध रहता है. जतरा को लेकर स्थानीय लोग सड़क किनारे व अपनी जमीन पर बाइक व साइकिल स्टैंड बनाकर भी अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं.
परंपरागत पेशा से जुड़े ग्रामीणों व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए भी यह एक अच्छा बाजार माना जाता है. आम तौर पर यह जतरा दो दिवसीय ही माना जाता है. लेकिन अब दो-तीन दिन पहले से व दो-तीन बाद तक भीड़ रहती है. इस दौरान यहां सामान की खरीद-बिक्री भी चालू रहती है.
कुच्चू मेला आज, दुकानें सजी
ओरमांझी : ऐतिहासिक कुच्चू मेला 13 अक्तूबर को लगेगा. मेला स्थल पर खेल-खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन व मिठाई की दुकानें सज गयी है. शनिवार की शाम मेला स्थल पर गांव के सिकंदर पाहन ने पूजा-अर्चना कर क्षेत्र में सुख-शांति की कामना की. मेला में शाम में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन होगा.
मेला को लेकर आयोजन समिति के अध्यक्ष महेंद्र महतो, विजय आनंद, संदीप कुमार, संजय कुमार, प्रेम कुमार, नागेंद्र प्रसाद सहित अन्य पदधारी सक्रिय हैं. युवाअों को इस मेला का खास इंतजार रहता है. बुजुर्गों के अनुसार इस मेला से लोग नये रिश्ते की शुरुआत करते हैं.

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