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आर्थिक मंदी के कारण सार्वजनिक बैंकों का डूबत ऋण बढ़ा : जेटली

एजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि आर्थिक मंदी के कारण हुई है. इसके बाद भी 2014 में 33,486 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. लोकसभा में मनोज राजोरिया और चंद्रकांत खैरे के प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में वृद्धि आर्थिक मंदी के कारण हुई है. इसके बाद भी 2014 में 33,486 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. लोकसभा में मनोज राजोरिया और चंद्रकांत खैरे के प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में बैंकों का ‘डूबत ऋण’ बढ़ कर 2,45,809 करोड़ रुपये हो गया, जो 2012-13 में 1,83,854 करोड़ रुपये और 2011-12 में 1,37,102 करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी के कारण पिछले दो-तीन वर्षों में देश में गैर निष्पादित आस्तियां बढ़ी. जेटली ने कहा कि 2013-14 में एनपीए अनुपात बढ़ कर 4.03 प्रतिशत हो गया, जो 2012-13 में 3.42 प्रतिशत और 2011-12 में 2.94 प्रतिशत रही थी. वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में आर्थिक मंदी के कारण कई उद्योगों को घाटा हुआ, जिसमें कारण वे ऋण का भुगतान करने में अक्षम हुए. इसके अलावा कई लोग ऐसे होते हैं जिनकी नीयत अच्छी नहीं होती है. वे ऋण को नहीं लौटाना चाहते हैं. सरकार सब्सिडी को तर्कसंगत बनायेगीनरेंद्र मोदी सरकार सब्सिडी को तर्कसंगत बनायेगी, ताकि इसका फायदा केवल पात्र लोगों को ही मिले और व्यय प्रबंधन आयोग सब्सिडी बिल के विषय पर विचार करेगी और इस वर्ष के अंत तक रिपोर्ट पेश कर सकती है. सब्सिडी के विषय पर कई प्रश्नों के उत्तर में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि सरकार सब्सिडी को तर्कसंगत बनायेगी, ताकि इसका फायदा केवल समाज के वंचित वर्ग के लोगों को मिले और अपात्र लोगों को न मिले.

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