देश के लिए ओलिंपिक में मेडल जीतना चाहते हैं रांची के पहले इंटरनेशनल मैराथन धावक प्रबीर महतो

रांची : झारखंड की राजधानी रांची धीरे-धीरे स्पोर्ट्स हब बनता जा रहा है. यहां अलग-अलग क्षेत्र के खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी के धमाके ने रांची को अलग पहचान दी, तो अब इंटरनेशनल एथलीट के रूप में प्रबीर महतो अपनी और अपने राज्य को दुनिया के अलग-अलग देशों में स्थापित कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 18, 2019 3:33 PM

रांची : झारखंड की राजधानी रांची धीरे-धीरे स्पोर्ट्स हब बनता जा रहा है. यहां अलग-अलग क्षेत्र के खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धौनी के धमाके ने रांची को अलग पहचान दी, तो अब इंटरनेशनल एथलीट के रूप में प्रबीर महतो अपनी और अपने राज्य को दुनिया के अलग-अलग देशों में स्थापित कर रहे हैं. इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे प्रबीर महतो भारत के पहले नन-प्रोफेशनल इंटरनेशनल मैराथन धावक हैं. बिना किसी सरकारी मदद के वह अब तक 12 मैराथन दौड़ चुके हैं. हाल ही में दुनिया के सबसे मुश्किल माने जाने वाले लद्दाख मैराथन में हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर रहे.

रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई करने वाले प्रबीर महतो को पहली बार दुर्घटनावश स्कूल स्पोर्ट्स में दौड़ने का मौका मिला, तो दूसरी बार फिर दुर्घटनावश ही राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए बेंगलुरु और फिर इटली के मिलान चले गये. इटली के फ्लोरेंस में वह पहली बार मैराथन दौड़े. दौड़ पूरा करने में उन्होंने 3:17 घंटे लिये. दौड़ पूरी करने के बाद वह खुशी से रो पड़े. प्रबीर कहते हैं कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उन्होंने मैराथन दौड़ पूरी कर ली.

इसके बाद उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने मैराथन धावक बनने की ट्रेनिंग शुरू कर दी. वर्ष 2004 के बाद पहला मौका था, जब वर्ष 2018 में प्रबीर को एलीट भारतीय एथलीट बनने का गौरव हासिल हुआ. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग देशों में होने वाली मैराथन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. पेरिस में उनकी बेस्ट टाइमिंग 2:52:36 घंटे रही. प्रबीर अपने इस प्रदर्शन को और सुधारना चाहते हैं और देश के लिए कई मेडल जीतने की ख्वाहिश रखते हैं.

यह पूछने पर कि भारत में प्रबीर ने ट्रेनिंग क्यों नहीं की, उन्होंने कहा कि यहां उन्हें न तो बेहतर ट्रेनर मिला, न ही किसी ने इस ओर प्रेरित किया. बेंगलुरु में पहली बार हाफ मैराथन दौड़ने के बाद से ही प्रबीर के मन में धावक बनने की इच्छा जगी. इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. उनका कहना है कि अच्छा धावक बनने के लिए अनुशासन के साथ-साथ ट्रेनिंग पर फोकस बहुत जरूरी है.

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