इंस्पेक्टर विनोद के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा

रांची : बरियातू रोड स्थित हाइ क्यू इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा व चतरा निवासी विदिशा राय की मौत के मामले में जब्त सामान को जब्ती सूची बनाकर सुरक्षित नहीं रखने के आरोप में बरियातू के तत्कालीन थानेदार विनोद कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है. विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव तैयार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 31, 2019 2:34 AM

रांची : बरियातू रोड स्थित हाइ क्यू इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा व चतरा निवासी विदिशा राय की मौत के मामले में जब्त सामान को जब्ती सूची बनाकर सुरक्षित नहीं रखने के आरोप में बरियातू के तत्कालीन थानेदार विनोद कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है.

विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर रांची एसएसपी अनीश गुप्ता ने रांची रेंज के डीआइजी एवी होमकर के पास भेज दिया है. वहीं दूसरी ओर केस के तत्कालीन अनुसंधानक वीरेंद्र पाठक के खिलाफ एसएसपी ने विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है. विनोद कुमार सिंह वर्तमान में बोकारो जिला में पदस्थापित हैं. दोनों पुलिस अफसरों के खिलाफ पूर्व में कार्रवाई का निर्देश सीआइडी मुख्यालय ने रांची एसएसपी को दिया था.
छात्रा की निजी डायरी को ही बना दिया था सुसाइड नोट : उल्लेखनीय है कि जिला पुलिस से यह केस बाद में सीआइडी को ट्रांसफर किया गया था. केस का अनुसंधान सीआइडी ने सात अगस्त 2015 से आरंभ किया. तब केस का सुपरविजन सीआइडी के तत्कालीन डीएसपी दीपक अंबष्ट ने किया था.
उन्होंने विदिशा राय की मौत को प्रथमदृष्टया आत्महत्या बताया था. लेकिन अंतिम निर्णय लेने से पहले कुछ बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिये थे. बाद में जब केस की समीक्षा सीआइडी के तत्कालीन एसपी पी मुरूगन ने की, तब उन्होंने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा कि पूर्व के अनुसंधान के दौरान छात्रा की निजी डायरी को सुसाइड नोट बना दिया गया था. जबकि डायरी में कहीं भी सुसाइड की चर्चा नहीं है.
छात्रा डायरी में अपने मन की बात लिखती थी, जिसे सुसाइड नोट बताया जा रहा है. जबकि वह वास्तव में एक कविता है. इसका शीर्षक है (अलविदा). यह घटना छह माह पूर्व लिखी गयी है. इसलिए इसे सुसाइड नोट मान लेना उचित नहीं है. इसलिए छात्रा की मौत को आत्महत्या का केस मान लेना उचित नहीं है.
सीआइडी के तत्कालीन एसपी ने छात्रा की मौत को हत्या बताया : सीआइडी के तत्कालीन एसपी ने अपने समीक्षा रिपोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट, आरोपियों का बयान जांच में गलत पाये जाने और परिस्थिति जनक साक्ष्य के आधार पर छात्रा की मौत को हत्या बताया था.
लेकिन बाद में केस की दोबारा जांच के लिए सीआइडी के एसपी मनोज चौथे के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया गया. तब सीआइडी को दोबारा केस में आत्महत्या से संबंधित साक्ष्य मिले. पुलिस द्वारा घटना के बाद फांसी लगाने में प्रयुक्त दुपट्टा सहित अन्य सामान सीआइडी को नहीं सौंपे जा रहे थे, क्योंकि सामान की जब्ती सूची बनाकर मालखाना में सुरक्षित नहीं रखा गया था. इसलिए सीआइडी को केस में आगे अनुसंधान में परेशानी हो रही थी.

Next Article

Exit mobile version