रांची : एनएच-33 में 264 करोड़ की गड़बड़ी रांची एक्सप्रेस-वे और अन्य पर केस

सीबीआइ की कार्रवाई. बैंक से मिले कर्ज की राशि में की गयी विचलन रांची : सीबीआइ (रांची, एसीबी) ने एनएच-33 (बरही-बहरागोड़ा सड़क) को फोर लेन करने के मामले में हुई गड़बड़ी में रांची एक्सप्रेस-वे, मधुकॉन प्रोजेक्ट लि व फर्जी उपयोगिता प्रमाण पत्र देनेवाली कंपनी पर प्राथमिकी दर्ज की है. इन सभी पर एनएच-33 को फोर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 13, 2019 7:56 AM
सीबीआइ की कार्रवाई. बैंक से मिले कर्ज की राशि में की गयी विचलन
रांची : सीबीआइ (रांची, एसीबी) ने एनएच-33 (बरही-बहरागोड़ा सड़क) को फोर लेन करने के मामले में हुई गड़बड़ी में रांची एक्सप्रेस-वे, मधुकॉन प्रोजेक्ट लि व फर्जी उपयोगिता प्रमाण पत्र देनेवाली कंपनी पर प्राथमिकी दर्ज की है.
इन सभी पर एनएच-33 को फोर लेन करने के नाम पर बैंक से मिली राशि में से 264.01 करोड़ रुपये के विचलन का आरोप है. सीबीआइ ने कार्रवाई हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में की है. प्राथमिकी में रांची एक्सप्रेस-वे के सीएमडी के श्रीनिवास राव, निदेशक एन सेथइय्या, एन पृथ्वी तेजा को अभियुक्त बनाया गया है.
वहीं, मधुकाॅन प्रोजेक्ट, मधुकान इंफ्रा, मधुकॉन टोल हाइवे और फर्जी उपयोगिता प्रमाण पत्र देनेवाली कंपनी मेसर्स कोटा एंड कंपनी को नामजद किया गया है.
प्राथमिकी में इन सब पर सुनियोजित तरीके से सड़क निर्माण के लिए बैंकों से मिली कर्ज की राशि में से 264.01 करोड़ रुपये का विचलन करने का आरोप लगाया गया है.
1029.39 करोड़ का कर्ज दिया था बैंकों के समूह ने
प्राथमिकी में कहा गया है कि केनरा बैंक के नेतृत्व में बैंकों के समूह ने इस परियोजना के लिए 1029.39 करोड़ रुपये कर्ज दिये थे. बाद में बैंकों ने इसे एनपीए घोषित कर दिया. बैंकों की इस कार्रवाई के बाद नेशनल हाइवे ऑथरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) ने 30 जनवरी 2019 को रांची एक्सप्रेस-वे के साथ किये गये एकरानामे को रद्द कर दिया.
हाइकोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
हाइकोर्ट ने एनएच-33 के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी. पीआइएल नंबर 3503/2014 में लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में 14 नवंबर 2017 को सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.
इसके बाद इस मामले में पीइ दर्ज कर प्रारंभिक जांच की गयी. जांच में 1655 करोड़ रुपये की इस प्रोजेक्ट में 1029.39 करोड़ की रकम बैंकों से लेने के बावजूद काम नहीं होने के साथ ही फंड डाइवर्सन का मामला प्रकाश में आया.
इसके बाद सीबीआइ ने इससे संबंधित रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की. इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्तों के खिलाफ 12 मार्च 2019 को नियमित प्राथमिकी दर्ज की. इसमें सभी अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 420, 120बी, 468, 471, 477 ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) सहपठित धारा 13 (1)(ए) के तहत आरोपी बनाया गया है.
एनएचएआइ ने 30 जनवरी को रांची एक्सप्रेस-वे के साथ एकरानामा रद्द किया
अभियुक्तों का ब्योरा
के श्रीनिवास राव, रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के सीएमडी
एन सेथइय्या, रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के निदेशक
एन पृथ्वी तेजा, रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के निदेशक
मेसर्स रांची एक्सप्रेस-वे लिमिटेड
मेसर्स मधुकोन प्रोजेक्ट लिमिटेड
मेसर्स मधुकॉन इंफ्रा लिमिटेड
मेसर्स मधुकॉन टोल हाइवे लिमिटेड
मेसर्स कोटा एंड कंपनी
अन्य अज्ञात अभियुक्त
क्या है सीबीआइ की प्राथमिकी में : सीबीआइ द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि रांची एक्सप्रेस-वे के पदाधिकारियों ने सुनियोजित साजिश के तहत 264 करोड़ की राशि में से पहले 50 करोड़ रुपये मधुकाॅन प्रोजेक्ट से मधुकाॅन इंफ्रा और फिर मधुकाॅन टोल हाइवे में डाइवर्ट किया. इसके बाद साजिश रच कर मेसर्स कोटा एंड कंपनी ने फर्जी ऑडिट रिपोर्ट दी. साथ ही यह साबित करने की कोशिश की कि प्रोमोटर्स ने 124.82 करोड़ रुपये दिये हैं.
इन सभी अभियुक्तों ने मैटेरियल और मोबलाइजेशन एडवांस के रूप में मिले 22 करोड़ रुपये को भी डाइवर्ट किया. साथ ही मेंटेनेंस के नाम पर गलत तरीके से 98 करोड़ डाइवर्ट किया. हालांकि अदालत में शपथ पत्र दायर कर इस रकम के मेंटेनेंस पर खर्च करने का दावा किया.
हाइकोर्ट में सुनवाई 14 को
झारखंड हाइकोर्ट में 14 मार्च को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-33 की दयनीय स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई होगी. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) की ओर से चार चरणों में बननेवाली उक्त एनएच के टेंडर को लेकर जवाब दाखिल करना है. गौरतलब है कि झारखंड हाइकोर्ट ने रांची-जमशेदपुर राजमार्ग की दयनीय स्थिति को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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