रांची : हमारे पास है सिर्फ एक फीसदी जल, इसे बचायें

संजय रांची : झारखंड के शहरों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस की रिपोर्ट भले सुकून देनेवाली हो, लेकिन हमारी नदियों, तालाबों और दूसरे जल स्रोतों की हालत अच्छी नहीं है. शहर की हरमू नदी मृतप्राय: हो चुकी है तथा अन्य छोटी नदियों सहित स्वर्णरेखा नदी व विभिन्न तालाबों की हालत भी हमने बदतर कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 12, 2019 9:50 AM
संजय
रांची : झारखंड के शहरों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस की रिपोर्ट भले सुकून देनेवाली हो, लेकिन हमारी नदियों, तालाबों और दूसरे जल स्रोतों की हालत अच्छी नहीं है.
शहर की हरमू नदी मृतप्राय: हो चुकी है तथा अन्य छोटी नदियों सहित स्वर्णरेखा नदी व विभिन्न तालाबों की हालत भी हमने बदतर कर दी है. यदि धरती पर पानी तथा इस पानी में से इंसानी उपयोग लायक शुद्ध जल उपलब्धता की बात करें, तो हमारे पास भूगर्भ जल को मिला कर धरती का सिर्फ एक फीसदी जल ही है. (फ्रेश भूगर्भ जल धरती पर उपलब्ध कुल जल का सिर्फ 0.75 फीसदी है. उसी तरह झील व बड़े तालाबों के रूप में हमारे पास 0.25 फीसदी तथा नदियों के रूप में 0.005 फीसदी फ्रेश वाटर ही है). लेकिन हम इसे भी गंदा या दूषित कर रहे हैं. शहर व आसपास की कुछ तसवीरें यह बात साफ करती हैं.
इंसानी उपयोग के लिए एक फीसदी जल भी नहीं
धरती पर पानी का हिस्सा : 72 फीसदी
इस 72 फीसदी जल में से
समुद्री जल का हिस्सा : 96.5 फीसदी
फ्रेश वाटर : सिर्फ 2.5 फीसदी
गैर समुद्री नमकीन जल (सैलीन वाटर) : 1.0 फीसदी
फ्रेश वाटर (2.5 फीसदी) का विभिन्न हिस्सा
ग्लेशियर व बर्फ : 68.7 फीसदी
भूगर्भ जल का हिस्सा : 30.1 फीसदी
सतही व अन्य जल का बचा हिस्सा : 1.2 फीसदी
सतही व अन्य जल (1.2 फीसदी) का विभिन्न हिस्सा
अार्कटिक व अंटार्कटिका में जमीन के अंदर की बर्फ या परमाफ्रोस्ट : 69.0 फीसदी
झील व बड़े तालाबों में पानी का हिस्सा : 20.9 फीसदी
नदी जल का हिस्सा : 0.49 फीसदी
मिट्टी की नमी के रूप में जल : 3.8 फीसदी
वायुमंडल में जल (जलवाष्प) की मात्रा : 3.0 फीसदी
घास व झाड़ियों तथा वृक्षों से घिरा जलीय (स्वैंप्स व मार्शेस) भाग : 2.6 फीसदी
विभिन्न जीवित चीजों (फ्लोरा व फावना) में मौजूद जल : 0.26 फीसदी

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