रांची : कम हो रहा बिरसा मुंडा एयरपोर्ट का घाटा पहले “20 करोड़ था, अब “10 करोड़ हुआ

रांची : बिरसा मुंडा एयरपोर्ट का घाटा साल-दर-साल कम हो रहा है. एयरपोर्ट प्रबंधन के अधिकारियों की मानें, तो बीते वर्षों में घाटा करीब 20 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष हुआ करता था, जो मौजूदा समय में घटकर 10 करोड़ रुपये रह गया है. यह घाटा भी इसलिए हुआ है, क्योंकि एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल भवन बनाया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2019 8:38 AM
रांची : बिरसा मुंडा एयरपोर्ट का घाटा साल-दर-साल कम हो रहा है. एयरपोर्ट प्रबंधन के अधिकारियों की मानें, तो बीते वर्षों में घाटा करीब 20 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष हुआ करता था, जो मौजूदा समय में घटकर 10 करोड़ रुपये रह गया है. यह घाटा भी इसलिए हुआ है, क्योंकि एयरपोर्ट पर नया टर्मिनल भवन बनाया गया है. साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के काम हुए हैं. इसके लिए बैंक से लोन लिया गया था, जो हर वर्ष अदा किया जाता है.
हालांकि, एयरपोर्ट प्रबंधन के लिए यह सुखद है कि वर्तमान में ऑपरेशनल कार्यों से एयरपोर्ट को लाभ हो रहा है. अधिकारियों के अनुसार पिछले कई वर्षों से विमान सेवा में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
चालू वित्तीय वर्ष के 10 माह में ही लगभग 1.92 यात्रियों ने विमान से रांची अाना-जाना किया है. अभी विभिन्न एयरलाइंस के 31 फ्लाइट कई शहरों के लिए उड़ान भर रही हैं. साथ ही कार्गो ढुलाई में भी बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 2000 मीट्रिक टन अधिक है.
घाटा कम करने का हो रहा प्रयास : चालू वित्तीय वर्ष में बिरसा मुंडा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग की सुविधा बहाल की गयी थी, लेकिन इसे बंद कर दिया गया. इस कारण सीआइएसएफ और अन्य संसाधन का खर्च प्रबंधन पर लगभग दोगुना हो गया था, जिसे कम किया जा रह है.
वहीं, टर्मिनल बिल्डिंग के अंदर खाली पड़ी जगहों पर विभिन्न तरह के शॉप खोले जा रहे हैं. कार पार्किंग में कैंटीन की व्यवस्था शुरू की गयी है.
आर्मी कैंप की 27 एकड़ जमीन का हस्तांतरण जल्द : एयरपोर्ट के ठीक सामने आर्मी बेस कैंप की 27 एकड़ जमीन का ज्वाइंट सर्वे पूरा हो गया है. यह सर्वे रक्षा मंत्रालय और सिविल एविएशन मंत्रालय ने मिलकर किया है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ने जमीन हस्तांतरण के लिए लोकल स्तर पर सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं. जल्द ही दिल्ली में रक्षा मंत्रालय और सिविल एविएशन मंत्रालय की बैठक कर जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. जैसे ही जमीन एयरपोर्ट को उपलब्ध होगी, एयरपोर्ट अथॉरिटी आर्मी बेस कैंप की जमीन पर पार्किंग के साथ डिपार्चर और अराइवल के लिए अलग इंट्री प्वाइंट बनायेगा.
देश के कई एयरपोर्ट चल रहे हैं घाटे में : जानकारी के अनुसार रांची के अलावा श्रीनगर, जम्मू, शिमला, देहरादून, हैदराबाद, भोपाल, भुवनेश्वर, भोपाल, लखनऊ, पटना, रायपुर, सहित कई राज्यों की राजधानियाें में बने एयरपोर्ट लगातार तीन साल से घाटे में चल रहे हैं.
नये इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के कारण यह आंकड़ा घाटे में दिखाई दे रहा है. हालांकि, ऑपरेशनल कार्य से एयरपोर्ट को फायदा हो रहा है. जैसे-जैसे लोन की रकम कम होगी, एयरपोर्ट लाभ में आ जायेगा. घाटे को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.

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