रोजाना गुजरते हैं 300 ट्रक और टिपर दामोदर पुल से, दो साल पहले ही बना था, धंस गया एक पाया, हादसे की आशंका

रोजाना 300 ट्रक और टिपर गुजरते हैं इस पुल से, होती है अशोक परियोजना की कोयला ढुलाई कोयले की ढुलाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत डायवर्सन का निर्माण करा रहा है पिपरवार प्रबंधन पिपरवार : रांची-टंडवा मुख्य मार्ग पर अशोक परियोजना कार्यालय के समीप दामोदर नदी पर करोड़ों की लागत से बने पुल के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 26, 2018 7:45 AM
रोजाना 300 ट्रक और टिपर गुजरते हैं इस पुल से, होती है अशोक परियोजना की कोयला ढुलाई
कोयले की ढुलाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत डायवर्सन का निर्माण करा रहा है पिपरवार प्रबंधन
पिपरवार : रांची-टंडवा मुख्य मार्ग पर अशोक परियोजना कार्यालय के समीप दामोदर नदी पर करोड़ों की लागत से बने पुल के एक पाये का चबूतरा धंस गया है. यह पाया पुल के दक्षिणी छोर पर स्थित है. इससे हादसे की आशंका उत्पन्न हो गयी है. खास बात यह है कि रांची से टंडवा को जोड़नेवाले इस पुल का निर्माण वर्षों के इंतजार के बाद 2015 में पूरा हो सका था. जरूरत को देखते हुए बिना औपचारिक उदघाटन के ही पुल को आवागमन के लिए खोल दिया गया था.
गौरतलब है कि इस पुल के ठीक बगल में ही अविभाजित बिहार के समय राज्य सरकार के सौजन्य से बना हुआ पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद उक्त पुल को सरकार ने बनाया है. इससे पिपरवार, अशोक परियोजना की कोयला ढुलाई होती है. पुल पर वाहनों का काफी दबाव है. 15 टन से 35 टन तक के ट्रक व टिपर इस पुल से होकर गुजरते हैं.
हरकत में आया पिपरवार प्रबंधन
पुल के धंसते पाये की जानकारी मिलने के बाद पिपरवार प्रबंधन हरकत में आया. इसकी जानकारी राज्य सरकार के विभागीय अधिकारियों को दी गयी. पथ निर्माण विभाग चतरा के विभागीय अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किया गया. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में सीसीएल प्रबंधन द्वारा नदी में डाला पुल के तर्ज पर डायवर्सन बना कर कोयला ढुलाई करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद डायवर्सन निर्माण का काम सीसीएल के विभागीय अधिकारियों की देखरेख में शुरू किया गया है.

Next Article

Exit mobile version