Engineer”s day : गरीबी से कभी विचलित नहीं हुए विश्वेश्वरैया
सतीश चंद्र चौधरी(कार्यपालक अभियंता, सीडीअो, पथ निर्माम विभाग) अभियांत्रिकी की महान विभूति मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस 15 सितंबर पर हर साल भारत में अभियंता दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1967 से हुई. वर्तमान में कर्नाटक और तत्कालीन मैसूर राज्य के कोलार जिला के मुदेन हल्ली गांव में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर […]
सतीश चंद्र चौधरी
(कार्यपालक अभियंता, सीडीअो, पथ निर्माम विभाग)
अभियांत्रिकी की महान विभूति मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस 15 सितंबर पर हर साल भारत में अभियंता दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1967 से हुई. वर्तमान में कर्नाटक और तत्कालीन मैसूर राज्य के कोलार जिला के मुदेन हल्ली गांव में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को हुआ.
पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान थे. माता धार्मिक महिला थी. पिता का साया उनके सिर से 15 साल की उम्र में उठ गया था. अध्ययन की सच्ची लगन की राह में गरीबी कभी भी आड़े नहीं बन सकी और वे विचलित भी नहीं हुए. उनकी प्रारंभिक शिक्षा चिक्कबल्लापुर में हुई. इसके बाद वह बेंगलुरु में उच्च शिक्षा प्राप्त करने चले गये.
ट्यूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई की खर्च निकालते. मैसूर राज्य की कुछ सहायता और अंग्रेज प्रिंसिपल की प्रशंसा से उनका एडमिशन पुणे के साइंस कॉलेज में हुआ. 1883 में बंबई विवि में सर्वोच्च स्थान पाकर इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की. इसके बाद बंबई सरकार के लोक निर्माण विभाग मे सहायक अभियंता की नौकरी मिल गयी. पहली पोस्टिंग नासिक में हुई. तब एक नदी के नीचे से सिंचाई के लिए बड़ा नल लगाने में सफलता मिली. 20 माह के अंदर ही विभागीय परीक्षा पास कर वह प्रथम श्रेणी में पहुंच गये.