50 से कम कर्मचारी हैं, तो संस्थान नहीं आयेगा श्रम कानून के दायरे में, सरकार ने पास कराये ये नौ विधेयक

धरने पर बैठा रहा विपक्ष, सरकार ने पास कराये नौ विधेयक रांची : झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को भी सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी. विपक्ष भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन को वापस लेने पर अड़ा था. पहली पाली में मात्र 24 मिनट ही सदन चल सका. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 21, 2018 6:51 AM
धरने पर बैठा रहा विपक्ष, सरकार ने पास कराये नौ विधेयक
रांची : झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को भी सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी. विपक्ष भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन को वापस लेने पर अड़ा था. पहली पाली में मात्र 24 मिनट ही सदन चल सका. झामुमो के विधायक वेल में घुस गये.
दूसरी पाली में भी यही स्थिति रही. विपक्ष वेल के अंदर धरने पर बैठा रहा और सदन चलता रहा. दूसरी पाली में करीब डेढ़ घंटे तक कार्यवाही चली. इस दौरान सरकार ने कुल नौ विधेयक पारित करवाये. इनमें ठेका मजदूर (विनियमन एवं उन्मूलन) (झारखंड संशोधन) विधेयक-2018 भी शामिल है. इसके तहत किसी भी औद्योगिक संस्थान में 50 से कम कर्मचारी रहेंगे, तो वहां श्रम कानून लागू नहीं होगा.
गजट प्रकािशत कर लेगी जमीन : सरकार ने सदन से झारखंड जल, गैस और ड्रेनेज पाइप लाइन (भूमि में उपयोगकर्त्ता के अधिकारों का अर्जन) विधेयक-2018 भी पारित करा लिया. इसके तहत राज्य सरकार जल और गैस पाइप व ड्रेनेज पाइप लाइन बिछाने के लिए किसी भी रैयत की जमीन गजट प्रकाशित कर ले सकती है. इस विधेयक में तीनों कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण का प्रावधान तय किया गया है.
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने सदन में इस विधेयक का विरोध किया. हेमंत सोरेन ने इसे भूमि अधिग्रहण में संशोधन की तरह ही खतरनाक बताया. प्रदीप यादव ने भी इसे खतरनाक बिल बताया. उन्होंने कहा : इस बिल के तहत बिना पूछे किसी की जमीन ली जा सकती है. इसके लिए सरकार केवल गजट प्रकाशित करेगी. रैयत 30 दिनों के अंदर ही सक्षम पदाधिकारी के यहां आपत्ति कर सकते हैं. इसमें मुआवजा देने का भी जिक्र नहीं किया गया है. विरोध करनेवाले रैयतों पर दंड का प्रावधान भी किया गया है. इसके तहत अपनी जमीन पर कोई वृक्ष भी नहीं लगा सकता है. सरकार जमींदार की तरह काम कर रही है. अगर सरकार अपने को राज्य की पूरी जमीन का कस्टोडियन समझती है, तो सभी का जमीन ले ले.
अपील की अवधि को घटाया : सदन से पास औद्योगिक विवाद (झारखंड संशोधन) विधेयक-2018 में किसी भी निजी प्रतिष्ठान में काम करनेवालों की अपील की अवधि को घटाया है. अभी कामगार पदच्यूत, छंटनी किये जाने की स्थिति में तीन साल के अंदर श्रम न्यायालय में अपील कर सकते हैं. मंत्री राज पलिवार ने बताया, कामगारों की ओर से वर्षों बाद मामला कोर्ट में ले जाने से औद्योगिक संबंध प्रभावित होता था. जल्द न्याय भी नहीं मिल पाता था. इस कारण तीन साल के स्थान पर इसे तीन माह किया गया है.

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