झारखंड कैबिनेट का फैसला, अब कटेगी गैर मजरूआ जमीन की लगान रसीद

रांची : राज्य सरकार ने गैर मजरूआ जमीन की लगान रसीद काटने का फैसला किया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गयी. सरकार ने गैर मजरूआ जमीन की जमाबंदी में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद मई 2016 में आदेश जारी कर लगान रसीद […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 4, 2018 8:20 AM
रांची : राज्य सरकार ने गैर मजरूआ जमीन की लगान रसीद काटने का फैसला किया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गयी. सरकार ने गैर मजरूआ जमीन की जमाबंदी में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद मई 2016 में आदेश जारी कर लगान रसीद काटने पर पाबंदी लगा दी थी.
सरकार के इस आदेश के बाद राज्य में जिनके नाम भी गैर मजरूआ जमीन बंदोबस्त है, उसे संदेहास्पद बंदोबस्ती मानते हुए लगान रसीद काटना बंद कर दिया गया था.
मंगलवार को कैबिनेट ने बिना संलेख के अन्यान्य में इस मुद्दे पर चर्चा के बाद मई 2016 में लगान रसीद नहीं काटने से संबंधित जारी आदेश रद्द करने का सशर्त फैसला किया. इसके तहत अब केवल वैसी गैर मजरूआ जमीन की लगान रसीद नहीं काटी जा सकेगी, जिस जमीन पर न्यायालय का कोई विपरीत फैसला हो.
कैबिनेट ने अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक 2018 के प्रस्ताव पर मंजूरी प्रदान कर दी.
इसे विधानसभा के माॅनसून सत्र में पेश किया जायेगा.
विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद राज्य में अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया जा सकेगा. कैबिनेट ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के रिक्त पड़े दो सदस्यों के पद भरने का फैसला किया.
सुखी उरांव और डॉ अजय कुमार चट्टोराज को जेपीएससी सदस्य के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया. आयोग में अध्यक्ष के अलावा सभी सदस्यों का पद रिक्त था. जिससे आयोग का काम प्रभावित हो रहा था.
अनिल स्वरूप राज्य विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी : कैबिनेट ने सेवानिवृत्त आइएएस अनिल स्वरूप को राज्य विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर नियुक्त करने का फैसला किया है.
वह हाल ही में भारत सरकार के शिक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. सीइओ के रूप में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिलेगा. कैबिनेट ने पंचाटी (अवार्डी) उत्तराधिकारी को 50 लाख रुपये तक का मुआवजा बिना न्यायालय के प्रमाण पत्र के ही देने का फैसला किया है.
इसके पहले तक उत्तराधिकारी को सक्षम न्यायालय से प्रमाण पत्र लाने के बाद ही मुआवजा राशि का भुगतान किया जाता था. पर इसमें होनेवाली परेशानियों के मद्देनजर सरकार ने पहले 10 लाख तक के मुआवजे के लिए न्यायालय से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र लाने की बाध्यता समाप्त कर दी थी.
सरकार का मई 2016 में जारी आदेश रद्द
सुखी उरांव व डॉ अजय चट्टोराज जेपीएससी के सदस्य नियुक्त
अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक 2018 के प्रस्ताव पर मंजूर
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