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रांची : संसाधन तो हैं, लेकिन डॉक्टर ही लापरवाह ऐसे में क्यों न आपा खोयें मरीज के परिजन

रांची : स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव वीरेंद्र कुमार दोपहर 3:30 बजे रिम्स पहुंचे थे. करीब दो घंटे तक विभिन्न विभागों का निरीक्षण करने और अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद शाम 5:30 बजे यहां से रवाना हो गये. श्री कुमार रिम्स पहुंचने के बाद निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव, उप निदेशक गिरजाशंकर प्रसाद, उपाधीक्षक […]

रांची : स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव वीरेंद्र कुमार दोपहर 3:30 बजे रिम्स पहुंचे थे. करीब दो घंटे तक विभिन्न विभागों का निरीक्षण करने और अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद शाम 5:30 बजे यहां से रवाना हो गये.
श्री कुमार रिम्स पहुंचने के बाद निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव, उप निदेशक गिरजाशंकर प्रसाद, उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार को साथ लेकर निरीक्षण करने निकले. सबसे वह इमरजेंसी पहंचे. वहां जूनियर डॉक्टर तैनात थे. लेकिन, दो जूनियर डॉक्टर ड्यूटी से नदारद थे. इसके बाद निदेशक व उपाधीक्षक से अनुपस्थित डॉक्टरों की पूरी सूची मांगी. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में डॉक्टर अनुपस्थित रहेंगे, तो मरीजों को बेहतर इलाज कैसे मिलेगा? उन्होंने कहा कि एेसे काम नहीं चलेगा. अपने कार्य में लापरवाह कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
निरीक्षण के बाद श्री कुमार ने प्रभारी अधीक्षक डॉ डीके सिन्हा के साथ बैठक की. निरीक्षण में गायब डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस भेजा जायेगा. साथ ही उन पर कार्रवाई भी की जायेगी.
ब्लड बैंक के डॉक्टर को फाेन किया, तो कहा : बाहर हैं
संयुक्त सचिव ने ब्लड बैंक का निरीक्षण किया. डॉक्टर और कर्मचारियों को ड्यूटी रोस्टर मंगवाया गया. ऑफिस स्टाफ निरंजन कुमार नहीं मिले, तो टेक्नीशियन राजीव रंजन से सभी कागजात मंगवाये. पूछने पर पता चला कि दो डॉक्टर छुट्टी पर हैं.
वे डॉ केके सिंह को जिम्मेदारी देकर गये हैं. उन्हें फाेन कर बुलाने को कहा गया. कई बार प्रयास के बाद डॉ केके सिंह का फोन लगा. उन्हें तत्काल ब्लड बैंक पहुंचने को कहा गया, तो उन्होंने कहा कि वह बाहर हैं, इसलिए अभी संभव नहीं है. किसी ने बताया कि डॉ सिंह रांची से बाहर रहते हैं.
ब्लड बैंक के निरीक्षण के समय पास की जांच के लिए दो महिला गार्ड को देख नाराज हो गये. उन्होंने कहा कि दो महिला गार्ड क्या पास जांच कर पायेगी? कम से कम वहां चार गार्ड को तैनात किया जाये. उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार को रिम्स में उस समय तैनात सुरक्षा गार्ड की संख्या जांच कर बताने का निर्देश दिया गया.
मेडिसिन आइसीयू में नहीं मिले जूनियर डॉक्टर
मेडिसिन आइसीयू में निरीक्षण के दाैरान संयुक्त सचिव ने मरीजों से डॉक्टरों के आने की जानकारी ली. मरीज ने कहा कि डॉ जेके मित्रा आये थे, उन्होंने देखा व दवाएं लीं. नर्स को बुलाकर पूछा गया कि जूनियर डॉक्टर हैं, तो उन्होंने कहा कि वह काफी समय से दिखे नहीं है. संयुक्त सचिव व डिप्टी डायरेक्टर ने पूछा कि ड्यूटी रोस्टर कहां है. इसके बाद सचिव ने डॉक्टरों का नाम लिखा व फोटो खींचने के लिए कहा.
आउटसोर्सिंग का एग्रीमेंट और टेंडर के कागजात मांगे
निरीक्षण के बाद संयुक्त सचिव वीरेंद्र कुमार ने प्रभारी अधीक्षक डॉ डीके सिन्हा के साथ बैठक की. उन्होंने पूछा कि आउटसोर्सिंग कर्मचारी हड़ताल में कैसे शामिल हो गये. अगर वह हड़ताल पर थे, तो क्यों नहीं एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया जाये. मुख्य लिपिक को बुलाकर आउटसोर्सिंग के एग्रीमेंट व टेंडर पेपर को बुधवार को उपलब्ध कराने को कहा गया.
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव के बयान का संदर्भ
रिम्स में भर्ती एक महिला मरीज की एक जून की रात मौत हो गयी थी. इससे दुखी उसके परिजन ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. इस दौरान नर्स और परिजन के बीच हाथापाई हो गयी. इसके विरोध में अस्पताल की सभी नर्सों ने हड़ताल कर दी. सुबह होते-होते जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गये. दो दिन तक चली हड़ताल के दौरान अस्पताल के इमरजेंसी, ओपीडी और विभिन्न वार्डों की सेवाएं ठप हो गयी थीं.
जिन नर्सों के हाथों में इंजेक्शन और दवाएं होनी चाहिए थी, उनके हाथों में लाठी-डंडे थे. हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री रघुवर दास को हस्तक्षेप करना पड़ा. तीन जून को स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी व मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी रिम्स पहुंचे और नर्सों व जूनियर डॉक्टरों से बातचीत की, जिसके बाद हड़ताल समाप्त हो गयी. हालांकि, इन दो दिनों की हड़ताल के कारण विभिन्न वार्डों में भर्ती और इमरजेंसी में पहुंचे मरीजों को इलाज नहीं मिला. ओपीडी में आनेवाले मरीज भी परेशान हुए. साथ ही दो दिनों में पांच मासूमों समेत 25 मरीजों की मौत हो गयी.

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