सिल्ली से लौट कर आनंद/सतीश
सिल्ली : में आजसू के सुदेश महतो और झामुमो के अमित महतो की पत्नी सीमा देवी के बीच कांटे की टक्कर है़ सिल्ली उपचुनाव में 75 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. ऐसे में सुदेश और सीमा दोनों उलझे है़ं सिल्ली विधानसभा के अलग-अलग इलाके में बह रहे चुनावी बयार का रुख भी अलग रहा है़ ऐसे में परिणाम भांपना भी आसान नहीं है़ दोनों ने अपने मजबूत गढ़ को बचाये रखा है़ सिल्ली उपचुनाव में मुद्दों का अंडर करंट जरूर दिखा है़ आदिवासी-महतो साथ नहीं रहे.
ऐसे होता तो किसी एक के पक्ष में तस्वीर साफ होती़
आदिवासी और महतो दोनों अलग-अलग घाट बैठे है़ं हाल में हुई महतो रैली का चुनावी असर दिखा़ महतो को आदिवासी बनाये जाने का मुद्दा चुनाव में प्रभाव डाल रहा है. आदिवासियों में इसको लेकर नाराजगी साफ दिखी़ सोनाहातू,अनगड़ा व राहे के कई बूथों पर मतदाताओं ने इसको लेकर खुल कर अपनी बातें रखी़ं आदिवासी वोटरों का कहना था कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण है़ हालांकि इसको बैलेंस करने के लिए प्रत्याशियों ने अपने-अपने तरीके से रणनीति भी बनायी थी़ सिल्ली के कस्बाइ और गांवों में वोटरों के मिजाज में भी अंतर था़ खास कर सिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र में आजसू की बढ़त दिख रही थी़.
वहीं अनगड़ा और जोन्हा के इलाके में वोटरों की गोलबंदी और मुद्दे अलग थे़ यहां दोनों के पक्ष में वोटर सामने आये थे़ वहीं सोनाहातू-राहे में झामुमो आगे दिख रहा था़ हालांकि कुछ खास बूथों पर आजसू ने भी टक्कर दी है. इधर, कहीं विधायकी जाने को लेकर सहानुभूति भी दिखी, तो दूसरी तरफ सिल्ली के विकास और इसको बचाने का मुद्दा भी चला़ एक बड़ा तबका सिल्ली के विकास से खुश था़ विकास के लिए वोट देने की बात कह रहे थे़ स्थानीयता को भी मुद्दा बनाने का भरसक प्रयास किया गया़ कई वोटर स्थानीयता को लेकर भी सवाल कर रहे थे़ सिल्ली में तीखा संघर्ष है़ सबके अपने-अपने एजेंडे है़ं ऐसे में वोटर किस करवट बैठे, यह परिणाम ही बतायेगा़
पार्टियों की चुनावी रैली में नेताओं के खटराग का भी असर दिखा़ नेताओं की बयानबाजी को लेकर कहीं-कहीं नाराजगी थी़ सुदेश महतो के खिलाफ चुनाव के दौरान जिस तरह के हमले हुए, उससे एक वर्ग में सहानुभूति भी दिखी़ अमित महतो अपनी पत्नी के लिए मोर्चा संभाले हुए थे़ पत्नी को आगे कर वोटरों के बीच अपने संघर्ष को लेकर जा रहे थे़ वहीं महिलाओं के बीच सुदेश महतो की लोकप्रियता अब भी कई इलाके में बरकरार है़ सुदेश की पत्नी नेहा महतो ने भी मोर्चा संभाला था और इसका असर भी दिखा.