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गुरु निर्धारित करते हैं कन्या का विवाह

रांची. ऑनलाइन काउंसिलिंग के तहत मंगलवार को ज्योतिष काउंसिलिंग का आयोजन किया गया. इसमें पाठकों के सवालों के जवाब देने के लिए ज्योतिषी डॉ सुनील बर्मन (स्वामी दिव्यानंद) उपस्थित थे. उन्होंने पाठकों के सवालों के जवाब के साथ साथ कुंडली में विवाह और कैरियर निर्धारण के लिए उत्तरदायी कारकों के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने […]

रांची. ऑनलाइन काउंसिलिंग के तहत मंगलवार को ज्योतिष काउंसिलिंग का आयोजन किया गया. इसमें पाठकों के सवालों के जवाब देने के लिए ज्योतिषी डॉ सुनील बर्मन (स्वामी दिव्यानंद) उपस्थित थे. उन्होंने पाठकों के सवालों के जवाब के साथ साथ कुंडली में विवाह और कैरियर निर्धारण के लिए उत्तरदायी कारकों के संबंध में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि जातक की कुंडली क सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और कैरियर को बताता है. कन्या के विवाह के कारक ग्रह गुरु होते हैं. जबकि लड़का के विवाह के लिए शुक्र. डॉ बर्मन ने बताया कि सप्तम भाव में स्थित राशि जातक को विवाह और कैरियर को तय करता है. किंतु कैरियर के लिए सप्तम के साथ-साथ दशम भाव (कर्म भाव) पर भी विचार किया जाता है.

किसी भी कन्या की कुंडली में यदि गुरु प्रबल हो, उच्च हो या मजबूत स्थिति में हो तो कन्या का सर्वोत्तम विवाह होता है. साथ ही साथ वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है. क्रम से लड़का के विवाह में भी शुक्र की उक्त स्थिति का होना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि विवाह में विलंब हो रहा हो तो लड़की के लिए गुरु के मंत्र और लड़का के लिए शुक्र मंत्र का जाप करना चाहिए.

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