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नयी तकनीक ने स्पाइन की सर्जरी को बनाया है आसान

रांची : मुंबई के लीलावती अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ निशांत कुमार ने बताया कि स्पाइन की सर्जरी अब अासान हो गयी है, क्योंकि ऑपरेशन के लिए नयी तकनीक का उपयोग होने लगा है. पहले ओपन सर्जरी होती थी, लेकिन अब मिनिमली इनवेजिव (छोटे छिद्र) सर्जरी होने लगी है. कुछ घंटे या एक दिन […]

रांची : मुंबई के लीलावती अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ निशांत कुमार ने बताया कि स्पाइन की सर्जरी अब अासान हो गयी है, क्योंकि ऑपरेशन के लिए नयी तकनीक का उपयोग होने लगा है. पहले ओपन सर्जरी होती थी, लेकिन अब मिनिमली इनवेजिव (छोटे छिद्र) सर्जरी होने लगी है. कुछ घंटे या एक दिन में मरीज की छुट्टी हो जाती है. पहले लोगों की भ्रांति थी कि स्पाइन सर्जरी से मरीज लकवाग्रस्त हो जाता है. वह शनिवार को होटल महाराजा में पत्रकारों को स्पाइन सर्जरी पर जानकारी दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि स्पाइन सर्जरी हार्ट की सर्जरी की तरह नहीं है कि जीवन बचाने के लिए मरीज का तत्काल ऑपरेशन करना है. स्पाइन सर्जरी मरीज के जीवन को बेहतर करने के लिए होता है. बैकपेन की समस्या आम है, लेकिन इलाज कराने के बाद भी मर्ज ठीक नहीं हो रहा है, तो सर्जरी की आवश्कता पड़ती है. डॉ निशांत ने कहा कि 10 में आठ मरीजों को सर्जरी की अावश्यकता नहीं होती है. अनावश्यक जांच की जरूरत पड़ती है. मरीज की समस्या कुछ दवा व फिजियोथेरेपी से ठीक की जा सकती है.
10 से 15 फीसदी को ही सर्जरी करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि युवाओं में यह समस्या ज्यादा बढ़ी है, क्योंकि वे जीम करते हैं. ज्यादा जीम करने से भी समस्या हो जाती है. एक ही पाश्चर में लगातार मरीज को नहीं बैठना चाहिए. बीच-बीच में उठ कर टहलना चाहिए. कंप्यूटर को ऊंचा रखना चाहिए, क्योंकि इससे गले की समस्या हो जाती है. उन्होंने कहा कि वह रांची में महीने में दो से तीन बार आयेंगे.

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