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रांची : वित्तीय गड़बड़ी करनेवाले मुखिया से हो सकती है सूद सहित वसूली
मुख्य सचिव स्तर पर बनी सहमति, प्रस्ताव तैयार करेगा विभाग रांची : वित्तीय गड़बड़ी में शामिल मुखिया से संबंधित रकम की वसूली सूद सहित हो सकती है. इस संबंध में सरकार के स्तर पर मौखिक सहमति बन गयी है. अब पंचायती राज विभाग इस अाशय का प्रस्ताव तैयार करेगा. मालूम हो कि वर्ष 2015 में […]
मुख्य सचिव स्तर पर बनी सहमति, प्रस्ताव तैयार करेगा विभाग
रांची : वित्तीय गड़बड़ी में शामिल मुखिया से संबंधित रकम की वसूली सूद सहित हो सकती है. इस संबंध में सरकार के स्तर पर मौखिक सहमति बन गयी है. अब पंचायती राज विभाग इस अाशय का प्रस्ताव तैयार करेगा.
मालूम हो कि वर्ष 2015 में हुए चुनाव के बाद राज्य की सभी पंचायतों के लिए 4402 मुखिया चुने गये हैं. इधर, एक विभागीय अधिकारी के मुताबिक 13वें तथा 14वें वित्त आयोग से मिली राशि के खर्च में गड़बड़ी तथा पंचायतों में कामकाज की सोशल अॉडिट (सामाजिक अंकेक्षण) के बाद करीब एक हजार मुखिया पर गड़बड़ी के आरोप हैं. इन सबको पद से हटाना मुश्किल है.
इससे उप चुनाव की नौबत भी आयेगी. ऐसे में सरकार ने गड़बड़ी करने वाले मुखिया से सूद सहित वसूली करने का मन बनाया है. गौरतलब है कि इससे पहले पंचायती राज विभाग ने कुछ मुखिया की वित्तीय शक्ति उनसे ले लेने तथा उन पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया था. मुखिया लोगों के खिलाफ मिली शिकायतों तथा प्रथम दृष्टया इसे सही पाये जाने के बाद यह निर्णय हुआ था. पर यह कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी.
सरकार के पैसे निजी खाते में रखने की मिली है शिकायत
उल्लेखनीय है कि 13वें वित्त आयोग से राज्य की सभी 4402 पंचायतों को करीब 1568 करोड़ रुपये मिले हैं. वहीं अब 14 वें वित्त आयोग का करीब छह हजार करोड़ का अनुदान पंचायतों को किस्तों में जारी हो रहा है.
इधर कुछ पंचायतों के बारे में विभाग को यह शिकायत मिली थी कि सरकार के पैसे निजी खाते में रखे गये हैं. पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कई पंचायतों का खाता पंचायत नहीं बल्कि मुखिया के नाम से खोला गया है. यही खाता संख्या विभाग को उपलब्ध कराया गया है. अभी यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि ऐसे कुल कितने पंचायत हैं. पर विभाग इसका पता लगा रहा है. दरअसल, पंचायत स्तर पर कई तरह की गड़बड़ी की शिकायतें हैं.
सबसे बड़ी गड़बड़ी वित्त आयोग के अनुदान से खरीदे गये सोलर लाइट, पानी टंकी, जलमीनार, जेनरेटर व अन्य खरीद में हुई है. वहीं पंचायत संबंधी विकास कार्य में मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत सेवक तथा प्रखंड स्तरीय किसी कर्मी या पदाधिकारी के निजी रिश्तेदार के ठेकेदारी करने पर पाबंदी के बावजूद विभिन्न पंचायतों से यह शिकायत मिल रही है.
मुखिया पर कार्रवाई में विलंब
वित्तीय व अन्य गड़बड़ी करनेवाले मुखिया पर कार्रवाई में विलंब होता है. इसके पीछे कारण है कि विभागीय स्तर पर मंत्री का अनुमोदन जल्दी नहीं मिल पाता है.
इससे पहले पंचायती राज विभाग ने कुछ मुखिया की वित्तीय शक्ति उनसे ले लेने तथा उन पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्णय लिया था. मुखिया के खिलाफ मिली शिकायतों तथा प्रथम दृष्टया इसे सही पाये जाने के बाद यह निर्णय हुआ था. पर यह फाइल भी मंत्री स्तर पर तीन-चार माह तक पड़ी रही.
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