रांची: राज्य में खाद्य सुरक्षा कानून एक माह बाद (जुलाई-14) से लागू होना है. राज्य के करीब 2.64 करोड़ लोगों इस कानून के तहत सस्ते दरों पर अनाज मिलेगा. इस कानून के लागू होने से पहले अनाज व गोदाम की मात्र-क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, पर राज्य में गोदाम अपर्याप्त है. अभी झारखंड में हर माह 84 हजार टन (11.44 लाख अतिरिक्त बीपीएल परिवार सहित) अनाज की जरूरत होती है.
खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद हर माह करीब 1.4 लाख टन अनाज की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में राज्य के गोदामों में क्षमता से अधिक खाद्य सामग्री का भंडारण किया जायेगा. इससे हजारों टन खाद्य सामग्री खराब होने की संभावन बनी रहेगी.
छह लाख टन क्षमता के गोदाम चाहिए
जानकारों के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के पास एडवांस स्टॉक सहित कम से कम छह लाख टन क्षमता के गोदाम चाहिए. इसके विरुद्ध एफसीआइ गोदामों में खाद्यान्न रखने की कुल क्षमता जुलाई तक लगभग दो लाख टन होगी. उधर एफसीआइ से खाद्यान्न लेकर वितरित करने के लिए राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के पास करीब तीन लाख टन क्षमता का गोदाम चाहिए. इसके विरुद्ध एसएफसी के पास करीब 1.8 लाख टन का गोदाम जुलाई तक उपलब्ध होगा. इधर एफसीआइ के अधिकारियों का कहना है कि गोदाम की कम क्षमता कानून लागू करने में बाधा नहीं है. एफसीआइ चार माह के स्टॉक के बजाय दो माह का स्टॉक रखेगा. एसएफसी के अधिकारी भी यही कह रहे हैं.
क्या है खाद्य सुरक्षा कानून
केंद्र सरकार ने तीन रु किलो चावल, दो रु किलो गेहूं व एक रु किलो के दर से मोटा अनाज देने का निर्णय लिया है. खाद्य आपूर्ति विभाग के अनुसार, लगभग 9.18 लाख अंत्योदय परिवार को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलेगा. वहीं वर्तमान के बीपीएल परिवार (करीब 41 लाख परिवार) को प्रति सदस्य पांच किलो अनाज उपलब्ध कराया जायेगा. चालू वित्तीय वर्ष में जुलाई से मार्च-15 तक के नौ माह के लिए विभाग ने खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के लिए 305 करोड़ रु का बजट प्रस्ताव तैयार किया है.
एसएफसी की गोदाम क्षमता अभी तीन लाख टन के विरुद्ध 1.8 लाख टन है. पर इससे लक्षित जन वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) व खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन में कोई परेशानी नहीं होगी.
आलोक त्रिवेदी, उप सचिव
खाद्य आपूर्ति विभाग