रांची : भूख, पोषाहार व स्वास्थ्य जैसे विषय पर झारखंड सहित देश भर में कार्यरत विभिन्न संगठनों से जुड़े 193 कार्यकर्ताअों ने केंद्रीय समाज कल्याण (महिला व बाल विकास) मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखा है. इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों तथा गर्भवती व धात्री (स्तनपान कराने वाली) महिलाओं को दिये जा रहे पोषाहार पर सवाल उठाये हैं.
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आंगनबाड़ी केंद्रों में पैकेट बंद खाद्य के बदले मिले पोषाहार
रांची : भूख, पोषाहार व स्वास्थ्य जैसे विषय पर झारखंड सहित देश भर में कार्यरत विभिन्न संगठनों से जुड़े 193 कार्यकर्ताअों ने केंद्रीय समाज कल्याण (महिला व बाल विकास) मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखा है. इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों तथा गर्भवती व धात्री (स्तनपान कराने वाली) […]
निजी ठेकेदारों के हाथों में रह जायेगा नियंत्रण : कहा गया है कि यहां पारंपरिक व पोषक खाने को फैक्टरी निर्मित पोषक तत्वों के साथ बदला जा रहा है. इससे सिर्फ निजी ठेकेदारों व आपूर्तिकर्ताओं के लिए दरवाजे खुलेंगे तथा आंगनबाड़ी में क्या दिया जाना है, इसका नियंत्रण स्थानीय समुदायों के बजाय निजी ठेकेदारों के हाथों में रह जायेगा. बच्चों को विकसित करने के लिए पर्याप्त पौष्टिक व विविध खाद्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता होती है.
समेकित बाल विकास परियोजना (आइसीडीएस) के तहत पूरक पोषाहार कार्यक्रम (एसएनपी) से बच्चों में कुपोषण दूर होने की उम्मीद की जाती है. पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-चार के आंकड़ों के अनुसार, हमारे देश में दो साल से कम उम्र वाले सिर्फ 10 फीसदी बच्चे ही वर्तमान में एक पर्याप्त आहार प्राप्त कर रहे हैं. फैक्टरी निर्मित पोषाहार पैकेट हमें आहार विविधता की ओर बढ़ने के इस उद्देश्य से दूर ले जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन हो
वहीं भारत में गैर-संचारी रोगों के बढ़ने के संदर्भ में विशेषज्ञ भी प्रसंस्कृत व पैकेट बंद खाद्य पदार्थों के अति प्रयोग से हमें सचेत कर रहे हैं. इधर झारखंड सहित विभिन्न राज्यों में यह देखा जा रहा है कि राजनीतिज्ञों, अधिकारियों व ठेकेदारों के बीच आपसी सहमति से सैकड़ों करोड़ का ठेका केंद्रीकृत रूप से किसी कंपनी को दिया गया है.
वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार की खराब गुणवत्ता सहित अन्य शिकायतें मिलती हैं तथा कंपनियों को खूब मुनाफा होता है. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में इससे संबंधित घोटाले उजागर हो चुके हैं. कार्यकर्ताअों ने मंत्री से इस प्रवृत्ति पर विरोध प्रकट किया है. वहीं मांग की है कि निजी ठेकेदारों पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पकाया हुआ गर्म खाना, अंडा व अन्य विविध स्थानीय पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए.
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