II शकील अख्तर II
रांची : झारक्राफ्ट ने गरीबों के लिए 9.82 लाख में से 8.13 लाख कंबल बनाने का फर्जी दावा किया है. इस दावे को सही करार देने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किये. इतनी ही नहीं, कंपनी ने कंबलों की बुनाई के लिए 2.02 करोड़ के हस्तकरघे खरीदे. पर इसे किस बुनकर सहयोग समिति या एसएचजी को दिया, इसका कोई ब्योरा उसके पास नहीं है. महालेखाकार ने झारक्राफ्ट की ओर से प्रस्तुत किये गये दावों से संबंधित दस्तावेज की क्रास वेरिफिकेशन के बाद यह नतीजा निकाला है.
क्रास वेरिफिकेशन : महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने राज्य के गरीबों के लिए झारक्राफ्ट को 9,82,717 कंबल बनाने का काम दिया था. ऑडिट के दौरान झारक्राफ्ट ने राज्य की बुनकर सहयोग समितियों और एसएचजी के सहारे कंबलों की बुनाई कराने का दावा पेश किया. इससे संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये. झारक्राफ्ट के दावों की जांच के लिए ऑडिट टीम ने इसका क्रास वेरिफिकेश किया. इसके लिए ऊनी धागे की उपलब्धता, ट्रांसपोर्टेशन, हस्तकरघा की उपलब्धता, बुनाई की क्षमता सहित अन्य आंकड़ों को आधार बनाया.
क्रास वेरिफिकेशन में पाया गया कि झारक्राफ्ट ने 9,82,717 में से 8,13,091 कंबलों की बुनाई एसएचजी और बुनकर सहयोग समितियों द्वारा नहीं करायी है. झारक्राफ्ट ने सहयोग समितियों के माध्यम से 8.13 लाख कंबलों की बुनाई दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किये हैं. महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारक्राफ्ट के कुछ लोगों ने सहयोग समितियों के साथ मिल कर साजिश रची और ऊनी धागे की ढुलाई, कंबलों की बुनाई – धुलाई दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेजतैयार किये.
633 हस्तकरघे की खरीद का दावा किया था : महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि झारक्राफ्ट ने कंबलों की वक्त पर बुनाई पूरी कराने और बुनकरों व सहयोग समितियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए हस्तकरघा खरीदने की जरूरत बतायी. ऑडिट में पाया गया कि मई 2016 तक कंबलों की बुनाई के लिए झारक्राफ्ट के पास सिर्फ 50 हस्तकरघे ही उपलब्ध थे. 2016-18 के बीच झारक्राफ्ट ने कंबल बुनने और सहयोग समितियों को रोजगार देने के लिए 633 हस्तकरघे की खरीद दिखायी. हस्तकरघों व बुनाई के जुड़े उपकरणों की खरीद पर 2.02 करोड़ का खर्च दिखाया. पर खरीद के बाद हस्तकरघा प्राप्त करने और उसे वितरित किये जाने से संबंधित कोई दस्तावेज झारक्राफ्ट के पास नहीं मिला.
कौन है रेणु गोपीनाथ पेनिक्कर
रेणु गोपनीथ पेनिक्कर केरल के एर्नाकुलम की रहनेवाली हैं. उन्होंने मैट्रिक झारखंड जादूगोड़ा व इंटर महिला कॉलेज चाईबासा से की है. इंग्लिश से बीए संत जेवियर्स कॉलेज महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी केरल से की है. झारक्राफ्ट में जमा उनके प्रोफाइल के अनुसार, वह नायर समाजम सोसाइटी (एनएसएस) में 2010 से लेकर 2016 तक तालुक सेक्रेटरी व एचआर फैकल्टी के रूप में काम कर चुकी है. वर्ष 2004 से 2010 तक मैनेजर रिक्रूटमेंट के रूप में काम कर चुकी है. 2000 से 2002 तक एयरटेल कोच्ची में की एकाउंट मैनेजर रही.
1998 से 2000 तक हेवलट पैकर्ड कंपनी में केरल में एरिया सेल्स मैनेजर रही. केरल में ही 1997 से 1998 तक ताज रेसीडेंसी में बैंक्वेट सेल्स एक्जीक्यूटिव रही. 2007 में एनार्कुलम जिला भाजपा की मीडिया सेल कन्वेनर थी. 2000 से एबीवीपी में पांच वर्ष तक एक्टिवर मेंबर थी. जमशेदपुर से लिंक रहने के कारण दो मई 2016 को वह झारक्राफ्ट की सीइओ बनी. फिर नवगठित मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्योग विकास बोर्ड की सीइओ सितंबर 2017 में बनी. मार्च में उन्हें मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्योग विकास बोर्ड से हटा दिया गया था.
घोटाले की जांच का आदेश उद्योग सचिव ने िदया
सुनील चौधरी
रांची :झारक्राफ्ट कंबल घोटाले की जांच का आदेश उद्योग सचिव सुनील बर्णवाल ने दे दिया है. उन्होंने बताया कि सीएम से भी सहमति मिल गयी है.उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. पांच-छह टीम मामले की जांच करेगी. इसमें उद्योग विभाग के पदाधिकारी शामिल होंगे. जांच टीम उन 27 कलस्टरों पर जायेगी, जहां झारक्राफ्ट ने कंबल बनाने का आदेश दिया था. टीम जांच करेगी कि कितना धागा आया, कितने कंबल बनाकर दिये गये. बुनकरों से भी पूछताछ होगी. इसमें कलस्टर को साबित करना होगा कि कितना धागा आया और कितने कंबल बने, कितने बुनकरों ने काम किया. उद्योग सचिव ने कहा कि अभी जो एजी की रिपोर्ट आयी है, वह एक सैंपल रिपोर्ट है.
एक जगह की जांच की गयी है. इस सैंपल जांच के आधार पर हमें लगता है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जांच टीम और कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट का मिलान कर एक समेकित रिपोर्ट बनेगी. इससे पता चलेगा कि कुल ट्रांजेक्शन, वित्तीय और प्रशासनिक अनियमतिता कहां-कहां हुई. यदि जरूरत हुई तो एजी या निगरानी जांच या स्पेशल अॉडिट करायी जा सकेगी. इसके बाद पता चलेगा कि यह क्रिमिनल केस या फायनेंशियल केस है. श्री बर्णवाल ने कहा कि झारक्राफ्ट सीइओ रेणु गोपीनाथ पेनिक्कर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. अब वो कहां गयी है यह जानकारी नहीं है.
कौन-कौन होंगे टीम
जीएम डीआइसी की अध्यक्षता में जांच टीम बनेगी. इसमें हस्तकरघा व रेशम विभाग के पदाधिकारी भी होंगे. श्री बर्णवाल ने कहा कि इसमें समय लग सकता है.
क्या है एजी की रिपोर्ट में
2.02 करोड़ के हस्तकरघे खरीदने का दावा किया झारक्राफ्ट ने, पर किसे दिया जिक्र नहीं
9.82 लाख कंबल बनाने का िदया गया था काम
8.13 लाख कंबलों की बुनाई दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किये
इस्तीफा दे चुकी सीइओ रेणुगोपीनाथ ने कहा
उद्योग निदेशक के रविकुमार की संपत्ति की जांच करायी जाये
सीइओ के पद से इस्तीफा दे चुकी रेणुगोपीनाथ पेनिक्कर ने झारक्राफ्ट के तत्कालीन एमडी व वर्तमान उद्योग निदेशक के रविकुमार पर आरोपों की झड़ी लगा दी है. उन्होंने कहा है कि दोनों की संपत्ति की जांच करा ली जाये. किसने कब तक नौकरी की, किसकी सैलरी कितनी थी और किसके पास कितनी संपत्ति है, इसकी जांच करायी जाये. उन्होंने कहा : निजी कारणों से केरल आ गयी हूं. पर एक सप्ताह बाद रांची आऊंगी और बड़े-बड़े लोगों के कारनामों का पर्दाफाश करूंगी.
उन्होंने कहा : झारक्राफ्ट में मैंने कोई गड़बड़ी नहीं की है. कंबल बुनकरों ने ही बनाया था. पर एक साजिश के तहत यह साबित किया जा रहा है कि कंबल बाजार से खरीदा गया है. 18 करोड़ का घोटाला कहा जा रहा है. दरअसल कंबलों के बनवाने में 27 करोड़ खर्च हुए हैं. उन्होंने कहा : मुख्यमंत्री भगवान के जैसे हैं. पर कुछ अधिकारी उन्हें काम नहीं करने देना चाहते. झारक्राफ्ट को 250 करोड़ का काम मिलनेवाला था. इसमें भारी कमीशन को देख कर कुछ अधिकारी नहीं चाहते थे कि मैं इस पद पर रहूं. उन्होंने गलत तरीके से कंबल खरीद को घोटाले का रूप दे दिया.
मैं तो केवल सीइओ हूं, पर कोई बताये कि बिना एमडी के साइन के क्या कोई बिल पारित हो सकता है. यदि हां तो फिर मैं कैसे दोषी हुई और एमडी कैसे निर्दोष हैं. उन्होंने कहा कि वह केरल से हैं और चूंकि बचपन जमशेदपुर में बीता था, इसलिए झारखंड की मिट्टी के लिए कुछ करना चाहती थी. यही वजह है कि जब काम का प्रस्ताव मिला तो यहां आ गयी. इसके पहले दुबई में थी. अच्छा पैकेज में काम कर रही थी. दुबई से केरल आकर फ्रीलांस कंसलटेंट के रूप में भी काम कर चुकी हूं. उन्होंने कहा : पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और यदि मेरी गलती है, तो मैं हर सजा भुगतने के लिए तैयार हूं. पर किसी और की गलती है, तो उसे भी बक्शा नहीं जाये.
उद्योग निदेशक व तत्कालीन एमडी के रविकुमार बोलेआरोप िनराधार,
रेणुगोपीनाथ पर करेंगे मानहानि का केस झारक्राफ्ट के तत्कालीन एमडी और वर्तमान उद्योग निदेशक आइएएस अधिकारी के रविकुमार ने रेणुगोपीनाथ पेनिक्कर के आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा : रेणुगोपीनाथ पेनिक्कर पर मानहानि का मुकदमा करेंगे. इसके लिए अपने वकीलों को कह दिया है. सीइओ ने मनमाने तरीके से काम किया और भुगतान किया. यह एजी की जांच रिपोर्ट में भी है. यही वजह है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी. झारक्राफ्ट के वर्तमान एमडी ने उनके कामकाज पर रोक लगा दी थी.
कंबल खरीद में गड़बड़ी की बातें नवंबर में ही मैंने सरकार की जानकारी में दे दी थी. यही वजह है कि भुगतान भी रोका गया. सारी बातें जांच में आ चुकी है. विकास आयुक्त ने भी जांच रिपोर्ट देख कर ही विस्तृत जांच की अनुशंसा की थी. वर्तमान एमडी मंजूनाथ भजंत्री ने जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की है. वह कार्रवाई से बौखला कर आरोप लगा रही हैं. इसका जवाब सरकार को देंगे. कोर्ट में आरोपों पर मानहानि का मुकदमा करेंगे.
घोटाले पर बोले मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारी कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जायेगा
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि कंबल बुनाई व वितरण में गड़बड़ी पर सरकार की पैनी नजर है. कोई भी भ्रष्टाचारी मेरे शासनकाल में बच कर नहीं जा सकता है. महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में एक ही जिले में सवाल उठाया है. दो दिन पहले ही झारक्राफ्ट के एमडी के साथ बैठक कर मामले की जानकारी ली गयी. हर जिले में जांच कराने का आदेश दिया गया है. सरकार भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करेगी. जांच रिपोर्ट आने के बाद भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों नहीं हो, बख्शा नहीं जायेगा.
जनसंवाद कार्यक्रम के तीन साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री मंगलवार को सूचना भवन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सपना है कि जनता व शासन के बीच कोई बिचौलिया नहीं हो. इसे ध्यान में रखते हुए जनसंवाद का कार्यक्रम शुरू किया, ताकि ग्रामीण की समस्याओं का समाधान किया जा सके. अच्छी बात है कि तीन साल में जनता की 87 प्रतिशत समस्याओं का समाधान किया जा चुका है.